मध्य प्रदेश के 36 जिलों के किसानों के लिए खुशखबरी है. राज्य में वाटरशेड विकास घटक के तहत प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 (वाटरशेड मिशन) को विस्तार देते हुए किसानों को जल संंरक्षण के साथ खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा. राज्य सरकार की ओर से जारी एक प्रेस बयान में बताया गया कि 36 जिलों की 85 परियोजनाओं में योजना का विस्तार किया जा रहा है. इस योजना के तहत अब और लगभग 9000 किसान को फायदा मिलेगा. अभी यह योजना धार, रतलाम, खरगोन, बड़वानी, सागर, गुना, इंदौर, श्योपुर सहित 14 जिलों में चल रही है.
वर्तमान में योजना का लाभ उठा रहे राज्य के 14 जिलों के 3000 किसान कलस्टर आधारित सब्जी की खेतीकर 40 से 50 हजार रुपये की आय हासिल कर रहे हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है. साथ ही गांवों में ग्रामीण आजीविका और अर्थव्यवस्था को भी ताकत मिल रही है.
वाटरशेड विकास घटक की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के नवाचार ने पहली बार जल संरक्षण को आजीविका से जोड़ा है. इससे किसानों को सीधे तौर पर फायदा होता दिख रहा है. इसकी बानगी रतलाम के किसान की जिंदगी में आए सुधार में देखने को मिल रही है. रतलाम जिले के नौगांवाकला गांवा के रहने वाले किसान तेजपाल जहां पहले सिर्फ परिवार के खाने लायक ही सब्जी उगा पाते थे, अब वह आधा एकड़ जमीन पर टमाटर और मिर्च की कमर्शियल खेती कर रहे हैं.
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा कि योजना के तहत हर प्रोजेक्ट में सिंचाई की सुविधा वाले 100 से 150 किसानों का चयन किया गया था. किसानों को तकनीकी तकनीकी ट्रेनिंग देने के लिए 835 लीड वेजिटेबल फार्मर चुने गए, जिन्होंने मास्टर ट्रेनर के रूप में चयनित किसानाें को गांवों में सब्जी उत्पादन की वैज्ञानिक पद्धति सिखाई.
योजना के तहत किसानों को आर्थिक मदद भी दी जा रही है. इसमें हर किसान को 30,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है. इस राशि से उन्हें खाद, बीज, दवाइयों और अन्य जरूरी संसाधनों की खरीद में आसानी हो रही है. इसके अलावा, गांवों में 50 से 60 किसानों के लिए शेड नेट नर्सरी भी बनाई जा रही है, ताकि किसानों को उन्नत किस्म के पौधे समय पर उपलब्ध हो सकें. इन नर्सरियों के लिए सरकार 1.30 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता भी दे रही है.
वाटरशेड संचालक अवि प्रसाद ने कहा कि यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. अब किसान केवल मौसम पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि तकनीक और योजना के आधार पर खेती कर अपनी आय और समृद्धि को बढ़ा सकेंगे. यह पहल किसानों को सतत और लाभकारी कृषि की ओर प्रेरित करती है.
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