मध्य प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से राज्य में 1 लाख 3 हजार कुओं को रिचार्ज करने का काम किया जा रहा है. वर्तमान में 75 हजार से ज्यादा कुओं को रिचार्ज करने के लिए इन कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट बनाने का काम शुरू हो गया है. इस काम में खंडवा जिला अपने लक्ष्य से आगे चल रहा है, जहां कूप रिचार्ज पिटों का लक्ष्य से ज्यादा निर्माण किया जा चुका है. कूप रिचार्ज पिट बन जाने से भू-जल स्तर बढ़ेगा और गर्मियों में कुओं के सूखने की संभावना भी काफी कम हो जाएगी. साथ ही किसानों को को सिंचाई और पीने के लिए पर्याप्त पानी भी मिलेगा. जानिए कूप रिचार्ज पिट बनाने का सही तरीका...
कूप रिचार्ज पिट बनाने के लिए एक खास संरचना बनाई जाती है. पिट को कुएं से 3 से 6 मीटर की दूरी पर बनाया जाता है, जिसमें 3 मीटर लंबा, 3 मीटर चौड़ा और 8 मीटर गहर गड्ढ़ा खोदा जाता है और पत्थर, मोटी रेत से परतें (Layers) बनाई जाती है. साथ ही गड्ढ़े में 8 इंच का पाइप फिट करने के बाद कुएं में डाला जाता है. फिर कुएं में पाइप के छोर पर एल्बो लगाकर 1 फीट का पाइप नीचे की तरफ लगाया जाता है.
राज्य सरकार ने बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ज्ञान अभियान को मजबूती देने और प्रकृति, पर्यावरण और जल संरक्षण की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार मिशन के रूप में काम कर रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जल गंगा संवर्धन अभियान जारी है, जिसमें पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा योजना के तहत प्रदेश के 1 लाख कुओं को बारिश के पानी से रिचार्ज करने का लक्ष्य तय किया है. कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट (डगवेल रिचार्ज विधि) बनाए जा रहे हैं. कूप रिचार्ज पिट को बनवाने में प्रदेश के किसानों ने भी जागरूकता दिखाई है.
बयान में कहा गया कि प्रदेश सरकार 30 मार्च से जल गंगा संवर्धन अभियान चला रही है, जो 30 जून तक जारी रहेगा. अभियान में बारिश के पानी को सहेजने और पुराने जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार करने का काम किया जा रहा है. तीन महीने तक चलने वाले इस अभियान के तहत पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बारिश के पानी को इकट्ठे करने और पुराने जल स्त्रोतों को नया जीवन देने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में खेत-तालाब, कूप रिचार्ज पिट, चैक, डैम, अमृत सरोवर सहित अन्य काम किए जा रहे हैं.
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