करनाल में 15 जून से धान की रोपाई की शुरुआत हो चुकी है. हरियाणा के 'चावल के कटोरे' के रूप में जाने जाने वाले करनाल जिले में धान की रोपाई जोरों पर है. करनाल कृषि विभाग के उप निदेशक वजीर सिंह ने बताया कि जिले में 180000 हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. सरकार ने 15 जून तक धान की रोपाई पर प्रतिबंध लगाया हुआ था, लेकिन अब किसानों ने धान की रोपाई का काम शुरू कर दिया है. वजीर सिंह ने बताया कि अगर किसान धान की खेती डीएसआर तकनीक से करते हैं तो उन्हें सरकारी सब्सिडी के रूप में 4500 रुपये प्रति एकड़ राशि दी जाएगी.
वहीं, अगर कोई किसान धान को छोड़कर दूसरी फसल लगाता है तो राज्य सरकार ऐसा करने पर 8000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी देगी. कृषि उप निदेशक ने कहा करनाल जिले में धान की खेती अधिक की जाती है, लेकिन गिरते हुए भूजल स्तर को देखते हुए किसानों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे धान के अलावा अन्य दूसरी फसलें भी लगाएं, ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और पानी की भी बचत हो सके. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से भी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
कृषि विभाग की ओर से डीएसआर से धान की रोपाई करने को लेकर भी किसानों के बीच प्रमोट किया जा रहा है, किसान धान लगाएं तो डीएसआर के माध्यम से ही धान लगाएं. उन्होंने कहा कि करनाल जिले के लिए हमें इस बार 30000 एकड़ में डीएसआर से सीधी बुवाई का लक्ष्य मिला है.
कृषि अधिकारी ने डीएसआर से धान लगाने के फायदे बताते हुए कहा आजकल धान लगाने से सबसे ज्यादा नुकसान भूजल का हो रहा है. हर साल पानी 2-3 फीट नीचे जा रहा है, जिसको देखते हुए सरकार की ओर से किसानों को धान लगाने के लिए नए विकल्प डीएसआर तकनीक को बढ़ावा दिया है. किसानों को इसमें धान की रोपाई नहीं करनी होती. जैसे किसान गेंहू की बिजाई करते हैं, ऐसे ही धान की बिजाई मशीन से होती है. इसमे मुख्य रूप से पानी की बचत होती है. साथ ही लेबर भी कम लगती है और उत्पादन में फायदा होता है.
करनाल के कृषि उप निदेशक वजीर सिंह ने बताया कि हरियाणा के साथ करनाल में भी जल स्तर नीचे जा रहा है, जिसको देखते हुए सरकार द्वारा मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम की शुरुआत की गई है. अगर कोई किसान धान की फसल को छोड़कर कोई अन्य फसल लगता है तो उसे ₹8000 प्रति एकड़ सब्सिडी राशि दी जाएगी. सरकार द्वारा करनाल में कृषि विभाग को 30000 एकड़ का लक्ष्य डीएसआर द्वारा निर्धारित किया गया है.
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