मॉनसून सीजन में बिहार की बड़ी आबादी एक ओर सूखे से परेशान रहती है, तो दूसरी ओर बाढ़ की विभीषिका के कारण लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं. हर साल राज्य सरकार इन दोनों आपदाओं से निपटने के लिए प्रयासरत रहती है और इस दिशा में विभिन्न योजनाएं तैयार की जाती हैं. इसी कड़ी में इस साल बाढ़ और सूखे से पहले की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि मई महीने के अंत तक सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएं. साथ ही, जिलाधिकारियों और विभागीय अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर स्थिति का आकलन करने और लोगों से बातचीत कर समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करने को कहा गया.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है. राज्य सरकार बाढ़ और सूखे की स्थिति में प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता प्रदान करती है. इसे ध्यान में रखते हुए सभी संबंधित विभागों और अधिकारियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा कि बदलते मौसम को देखते हुए हर पहलू पर नजर रखना आवश्यक है और सभी को पूरी तरह सतर्क रहना चाहिए. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जून के पहले सप्ताह तक अधिकारी अपने क्षेत्रों की स्थिति और समस्याओं का समुचित आकलन कर उसके समाधान के लिए काम करें.
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मुख्यमंत्री ने बताया कि नवंबर 2005 से पहले आपदा प्रबंधन प्रणाली उतना प्रभावी नहीं थी. सरकार बनने के बाद इस दिशा में गंभीरता से कार्य किया गया. वर्ष 2007 में आई बाढ़ में राज्य के 22 जिलों के लगभग 2.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे. 2008 की कोसी त्रासदी के दौरान सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया और अररिया जिलों में लगभग 34 लाख लोग प्रभावित हुए थे. उस समय विश्व बैंक से ऋण लेकर राहत और पुनर्वास कार्य किए गए थे. वर्ष 2016 से बाढ़ प्रभावित परिवारों को अनुग्रह अनुदान के रूप में 6,000 रुपये की सहायता राशि देने की व्यवस्था की गई थी, जिसे 2023 में बढ़ाकर 7,000 रुपये कर दिया गया. बाढ़ और अन्य आपदाओं में मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान देने की व्यवस्था भी लागू की गई.
विकास आयुक्त सह आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने जानकारी दी कि इस वर्ष जून में सामान्य से कम वर्षा की संभावना है, जबकि जुलाई, अगस्त और सितंबर में सामान्य वर्षा होने की संभावना है. जिसको देखते हुए विभाग अपने स्तर पर कार्य योजना तैयार कर रही है.
जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने बताया कि संभावित बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए राज्य सरकार ने नदियों पर कटाव-निरोधक एवं बाढ़-सुरक्षात्मक कार्यों को प्राथमिकता दी है. इसके तहत गंगा, कोसी, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा नदी बेसिन के 394 स्थलों पर 1,310.09 करोड़ रुपये की लागत से कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं. साथ ही, 3,808 किलोमीटर लंबे तटबंधों की निगरानी के लिए प्रति किलोमीटर एक तटबंध श्रमिक की तैनाती की गई है.
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जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि 1 जून से बाढ़ नियंत्रण कोषांग के तहत सहायता केंद्र शुरू किए जाएंगे, जो 24 घंटे कार्यरत रहेंगे. इसके लिए निम्नलिखित टोल-फ्री और दूरभाष नंबर जारी किए गए हैं: टोल-फ्री नंबर: 1800-345-6145,दूरभाष नंबर: 0612-2206669, 0612-2215850, मोबाइल नंबर: 7463889706, 7463889707 नंबर जारी किया गया है. इसके अतिरिक्त, बाढ़ चेतावनी प्रणाली के तहत गणितीय प्रतिमान केंद्र द्वारा गंगा नदी (बक्सर से कहलगांव तक के 7 स्थलों) सहित 42 नदी स्थलों पर बाढ़ का 72 घंटे पहले पूर्वानुमान जारी किया जाएगा.
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