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क्‍यों दक्षिण को साधे बिना अधूरा रह जाएगा पीएम मोदी का 'अबकी बार 400 पार' का सपना 

क्‍यों दक्षिण को साधे बिना अधूरा रह जाएगा पीएम मोदी का 'अबकी बार 400 पार' का सपना 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तेलंगाना के नगरकुरनूल में एक चुनावी रैली की. यहां पर उन्‍होंने एक बार फिर 'अबकी बार 400 पार' का नारा दिया. पीएम मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सभी नेता जानते हैं कि दक्षिण के राज्‍य 400 पार के सपने को पूरा करने के लिए क्‍यों महत्‍वपूर्ण हैं.

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दक्षिण भारत, बीजेपी के लिए सबसे अहम दक्षिण भारत, बीजेपी के लिए सबसे अहम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तेलंगाना के नगरकुरनूल में एक चुनावी रैली की. यहां पर उन्‍होंने एक बार फिर 'अबकी बार 400 पार' का नारा दिया. पीएम मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सभी नेता जानते हैं कि दक्षिण के राज्‍य 400 पार के सपने को पूरा करने के लिए क्‍यों महत्‍वपूर्ण हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के सभी नेताओं ने 'अबकी बार 400 पार' का नारा दिया है.  दक्षिण के पांच राज्‍यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 132 लोकसभा सीटें हैं और ऐसे में इस हिस्‍से का हर राज्‍य बीजेपी के लिए काफी अहम हो जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो दक्षिण भारत में मुकाबला काफी दिलचस्‍प होने वाला है. 

84 सीटों पर सारा ध्‍यान 

केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने पांच दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी और लक्षद्वीप की कुल 132 सीटों में से केवल 29 सीटें अपने नाम की थीं. कर्नाटक से 25, तेलंगाना से चार और तमिलनाडु सहित अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से एक भी सीट नहीं आई थी. कर्नाटक के अलावा अन्य दक्षिणी राज्यों पर बीजेपी का प्रभाव कम है, इसलिए दक्षिण की 84 सीटों पर उसका मुख्‍य ध्‍यान है. 

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क्‍या हुआ था 2019 में 

बीजेपी का लक्ष्‍य 2024 के लोकसभा चुनावों में 370 सीटें और एनडीए के लिए 400 से ज्‍यादा सीटें हासिल करना है. ऐसे में बीजेपी दक्षिणी राज्यों में अपना राजनीतिक आधार बढ़ाना चाहती है. यहां के राज्‍य अभी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों से प्रभावित हैं. ऐसे में, आगामी चुनाव में स्वाभाविक रूप से दक्षिण भारत को इस नए राजनीतिक मामले के प्राथमिक फोकस के रूप में देखा जा रहा है. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 303 सीटें हासिल की थीं. पूरी हिंदी बेल्‍ट के साथ-साथ पूर्वोत्तर और पश्चिम भारत में उसे जीत मिली थी. वहीं दक्षिणी राज्यों की मदद के बिना पीएम मोदी की तरफ से निर्धारित लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल होगा. 

वोटर्स को लुभाने की कोशिशें 

बीजेपी उन पांच दक्षिणी राज्यों को लुभाने की काफी कोशिशें कर रही हैं, जहां उसे अभी तक कोई खास फायदा नहीं हुआ है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि तमिलनाडु पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. तमिलनाडु में कुल 39 लोकसभा सीटें हैं और पड़ोसी पुडुचेरी में एक सीट है. बीजेपी को पूर्व में तमिलनाडु में महत्वपूर्ण चुनावी लाभ हासिल नहीं हुआ है. लेकिन इस बार बीजेपी अपनी परंपरा के टूटने की उम्मीद कर रही है, खासकर आक्रामक के अन्नामलाई के नेतृत्व में, जो इसकी राज्य इकाई का नेतृत्व कर रहे हैं. 

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आंध्र प्रदेश में हैं विधानसभा चुनाव 

दक्षिण में जहां चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ बीजेपी गठबंधन कर चुका है तो वहीं कुछ गठबंधन आने वाले समय में हो सकते हैं.  दक्षिण भारत बीजेपी के अलावा इंडिया ब्‍लॉक के लिए भी महत्‍वपूर्ण है.   नायडू की टीडीपी ने साल 2019 में 3 लोकसभा सीटें जीतीं.  लेकिन जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी के 50 फीसदी की तुलना में टीडीपी का वोट शेयर 40 फीसदी ही रहा. रेड्डी की पार्टी ने आंध्र प्रदेश 25 लोकसभा सीटों में से 22 सीटें जीतीं थीं. चूंकि आंध्र का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही हो रहा है, इसलिए रेड्डी के लिए बहुत कुछ दांव पर है. 

तेलंगाना में केसीआर हावी 

तेलंगाना में भी, केसी राव की भारत राष्‍ट्र समिति ने 2019 में बड़ी जीत हासिल की थी. पार्टी का वोट शेयर 42 फीसदी था. पार्टी ने राज्य की 17 सीटों में से 10 पर जीत हासिल की थी. कर्नाटक में मिली जीत के बाद कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में भी प्रदर्शन दोहराने की उम्‍मीद है. इंडिया ब्लॉक के पास जीएसडीपी के हिसाब से भारत के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं.  कर्नाटक में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है. दक्षिण में किसी भी पार्टी के लिए मुकाबला आसान नहीं है.