धान खरीद में देरी और दिक्कतों से नाराज किसान संगठनों ने पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास पर आगामी 18 अक्टूबर को धरना-प्रदर्शन और घेराव का ऐलान किया है. इतना ही नहीं किसानों ने विधायकों और मंत्रियों को काले झंडे दिखाने की बात भी कही है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जुटे किसान संगठनों, व्यापार-मजदूर संगठन और चावल मिलर्स ने किसानों की समस्याओं और सरकारी खरीद में लेट-लतीफी को लेकर बैठक में यह फैसले लिए हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की सोमवार को कई संगठनों के साथ हुई बैठक में पंजाब में धान खरीद में 'सुस्ती' का मुद्दा गरमाया रहा. संगठन की ओर से कहा गया कि किसानों की दिक्कतों को दूर करने और धान खरीद में तेजी नहीं लाई जा रही है. इसके विरोध में किसान, आढ़ती (कमीशन एजेंट) और चावल मिल मालिक 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर के बाहर भारी संख्या में जुटेंगे और धरना देंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), चावल मिल मालिकों और आढ़तियों की बैठक में निर्णय लिया गया कि किसान अपने मुद्दों को लेकर पीछे नहीं हटने वाले हैं. इससे पहले बीते रविवार को राज्य स्तरीय चक्का जाम किया गया था. पीटीआई के अनुसार किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि पंजाब में धान की फसल भरपूर मात्रा में पैदा हुई है. खरीद नहीं होने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि धान की खरीद, जो 1 अक्टूबर तक शुरू हो जानी चाहिए थी, अभी तक शुरू नहीं हुई है. किसानों को मंडियों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने खरीद प्रक्रिया में देरी के लिए पंजाब की आप सरकार और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया.
राजेवाल ने कहा कि 18 अक्टूबर को पंजाब के करीब 1,000 किसान, आढ़ती, मजदूर और चावल मिल मालिक मुख्यमंत्री आवास के बाहर जुटेंगे और विरोध जताने के लिए धरना देंगे. उन्होंने कहा कि जब भी आप विधायक और मंत्री अनाज मंडियों में आएंगे, किसान उनका घेराव करेंगे और उन्हें काले झंडे दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि आढ़ती सभी अनाज मंडियों में काले झंडे लगाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को जगाने के लिए हमने एसकेएम के नेतृत्व में बीते रविवार को पंजाब में 3 घंटे तक चक्का जाम किया था. लेकिन, फिर भी सरकार जागी नहीं है.
चावल मिल मालिक और आढ़ती भी किसानों के विरोध का समर्थन कर रहे हैं. आढ़ती जहां अपने कमीशन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. वहीं, चावल मिल मालिकों ने ताजा धान की फसल को स्टोर करने के लिए जगह की कमी का मुद्दा उठाया है. चावल मिलर्स चाहते हैं कि केंद्र सरकार स्टोरेज के लिए पर्याप्त जगह बनाने के लिए मौजूदा गेहूं और धान के स्टॉक को खत्म करे. चावल मिल मालिकों ने पीआर-126 धान किस्म के आउट-टर्न रेशियो (मिलिंग के बाद की उपज) पर भी चिंता व्यक्त की है, उनका दावा है कि इससे उन्हें भारी नुकसान होगा.
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