पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के एक साल पूरे हो गए हैं. यह आंदोलन एमएसपी की लीगल गारंटी सहित 13 मांगों को लेकर चल रहा है, जिसका नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेता कर रहे हैं. किसी को अंदाजा नहीं था कि जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंढेर और अभिमन्यु कोहाड़ के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन इतनी मजबूती के साथ साल भर तक चल जाएगा. इस आंदोलन से राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी और वीएम सिंह जैसे किसान नेताओं ने दूरी बनाई हुई थी, इसके बावजूद इसने न सिर्फ 365 दिन का सफर पूरा किया बल्कि सरकार को बातचीत के लिए मजबूर किया. अब 14 फरवरी को यानी वेलेंटाइन डे के दिन सरकार और किसानों के बीच चंडीगढ़ में बातचीत होनी है. देखना यह है कि इस बैठक में किसानों को कोई 'तोहफा' मिलेगा या फिर सरकारी 'धोखा' हाथ लगेगा.
एमएसपी गारंटी कानून बनाने के लिए सरकार से बार-बार अपील करने के बाद भी जब बात नहीं बनी तो किसानों ने सड़क पर उतरने का फैसला किया. इसी कड़ी में 13 फरवरी 2024 को किसान आंदोलन पार्ट-2 की शुरुआत हुई. यह ठीक लोकसभा चुनाव के पहले हुआ. तब कुछ लोग ऐसा कह रहे थे कि चुनाव के बाद आंदोलन खत्म हो जाएगा. लोकसभा चुनाव भी बीता, हरियाणा का विधानसभा चुनाव भी खत्म हो गया लेकिन आंदोलन चलता रहा. किसान पिछले वर्ष 13 फरवरी को पंजाब से दिल्ली के लिए चले थे, लेकिन तब हरियाणा की खट्टर सरकार ने रास्तों में पक्की बैरिकेडिंग करके, कील-कांटे लगाकर उन्हें शंभू और खनौरी बॉर्डर पर रोक दिया. किसान तब से वहीं पर धरने पर बैठे हुए हैं. पिछले साल 10 जुलाई को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को रास्ता खोलने के आदेश दिए लेकिन उसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई और फिर रास्ता बंद का बंद ही रहा.
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बहरहाल, आंदोलन के शुरुआती दिनों में केंद्र सरकार के मंत्रियों से किसानों की बीच चार दौर की बातचीत हो चुकी है. चौथे दौर की बैठक 18 फरवरी 2024 को चंडीगढ़ में हुई थी. जिसमें उस वक्त के कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शिरकत कर रहे थे. लेकिन, बातचीत बेनतीजा रही थी. क्योंकि सरकार किसानों की छोटी-छोटी मांगों को मानने के लिए तो तैयार दिख रही थी लेकिन एमएसपी की लीगल गारंटी देने पर राजी नहीं हुई. जबकि किसानों की यही मुख्य मांग है.
सरकार ने आंदोलनकारी किसानों को पांच साल के लिए पांच फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी देने का प्रस्ताव दिया था. इनमें अरहर, मसूर, उड़द, कपास और मक्का शामिल था. दलहन फसलें नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन (एनसीसीएफ) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) खरीदते जबकि कपास की खरीद कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के जरिए होती. लेकिन, किसानों ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि उन्हें सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी चाहिए.
पांचवें दौर की बातचीत के लिए किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ा. सरकार बातचीत के लिए राजी नहीं दिख रही थी. इसके बाद किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 26 नवंबर 2024 से खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल शुरू कर दी. डल्लेवाल के समर्थन में पंजाब-हरियाणा के 121 और किसान भी खनौरी आमरण अनशन पर बैठ गए. इससे केंद्र सरकार दबाव में आ गई. डल्लेवाल के आमरण अनशन के 54वें दिन 18 जनवरी 2025 को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियरंजन बातचीत का न्यौता लेकर खनौरी बॉर्डर पहुंचे. उनके और आंदोलनकारियों के बीच करीब 3.5 घंटे की बैठक के बाद 14 फरवरी को चंडीगढ़ में बातचीत का फैसला हुआ.
अब तक इस बैठक में वर्तमान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के भाग लेने की संभावना न के बराबर है. क्योंकि बैठक चंडीगढ़ में होनी है और उसी दिन भोपाल में शिवराज सिंह चौहान के बेटे की शादी है. बाकी कौन मंत्री बैठक में होंगे, अब तक सरकार ने इसकी जानकारी नहीं दी है. लेकिन कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी का बैठक में जाना तय माना जा रहा है. किसानों की ओर से इस बैठक में जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंढेर और अभिमन्यु कोहाड़ का शामिल होना तय है.
1. पूरे देश के किसानों के लिए सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए. डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट C2+50% के अनुसार फसलों के भाव तय किए जाएं.
2. किसानों और मजदूरों की पूर्ण कर्ज़मुक्ति की जाए.
3. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरे देश में लागू किया जाए. जमीन अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति एवं मार्किट रेट से 4 गुणा मुआवज़ा देने के प्रावधान लागू किए जाएं.
4. लखीमपुर खीरी मामले के दोषियों को सज़ा एवं पीड़ित किसानों को न्याय दिया जाए. साल 2020-21 के किसान आंदोलन के सभी मुकदमे रदद् किए जाएं.
5. भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर आए. साथ ही सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए.
6. किसानों और खेत मजदूरों को 10000 रुपये प्रति महीने की पेंशन दी जाए.
7. पीएम फसल बीमा योजना में सुधार किए जाएं, फसलों का नुकसान होने पर एक एकड़ को यूनिट मानकर मुआवजा दिया जाए. बीमा योजना का प्रीमियम सरकार द्वारा भरा जाए.
8. विद्युत संशोधन विधेयक 2023 को रद्द किया जाए एवं खेती को प्रदूषण कानून से बाहर निकाला जाए.
9. मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार, 700 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जाए. मनरेगा को खेती के साथ जोड़ा जाए.
10. नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां एवं खाद बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना लगाने के प्रावधान किए जाएं. बीजों की गुणवत्ता में सुधार किए जाएं.
11. मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
12. संविधान की 5वीं सूची को लागू किया जाए. जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित कर के कंपनियों द्वारा आदिवासियों की ज़मीन की लूट बंद की जाए.
13. किसान आंदोलन-2 के दौरान किसानों पर गोलियां चलाने एवं अत्याचार करने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कारवाई की जाए.
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