देश में अगले कुछ दिन राजनीतिक उठापटक वाले हो सकते हैं. चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा सितंबर में की जा सकती है. पिछले कुछ सालों में राज्य में हुए राजनीतिक मंथन और लोकसभा चुनावों के मिले-जुले नतीजों के बाद यह बात तो तय है कि झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों में काफी रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.
चुनाव आयोग की तरफ से वोटर लिस्ट ने रिवाइज करने से जुड़ी गतिविधियों को पूरा कर लिया गया था. आयोग ने इसके तहत आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए घर-घर सर्वे, वोटर लिस्ट में जरूरी बदलाव करना और वोटर लिस्ट रिवाइज करना शामिल था. चुनाव आयोग ने 25 जून से 5 अगस्त के बीच इन सभी कामों को पूरा कर लिया है. इंटीग्रेटेड ड्राफ्ट रोल 6 अगस्त को पब्लिश किए जाएंगे. साथ ही दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि 6 अगस्त से 20 अगस्त तक तय की गई हैं.
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चुनाव आयोग ने एक प्रेस रिलीज में कहा है कि दावों और आपत्तियों का निपटारा, डाटा बेस को अपडेट करना और प्रिटिंग सप्लीमेंट्स का काम 29 अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा. वोटर लिस्ट को आखिरी बार 30 अगस्त को किया जाएगा. महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है. महाराष्ट्र में उथल-पुथल साल 2019 के चुनावों के तुरंत बाद शुरू हो गई थी. उस समय उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन अविभाजित शिवसेना ने तब तक सरकार बनाने से इनकार कर दिया था, जब तक कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उन्हें मुख्यमंत्री नियुक्त करने का अपना वादा नहीं निभाती.
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बीजेपी ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया. इसकी वजह से लंबे समय तक गतिरोध की स्थिति बनी रही. उद्धव को लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस और एनसीपी से समर्थन मिला और फिर उद्धव के साथ राज्य में सरकार बनाई गई. हालांकि साल 2022 में अपनी पार्टी में विद्रोह के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा. इसके बाद एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. शिवसेना के जैसी ही टूट नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी हुई. अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से अलग हो गए और अपने साथ विधायकों का एक बड़ा हिस्सा एनडीए में ले गए. यह तब हुआ जब अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस को 72 घंटे से भी कम समय के लिए सीएम बनाया गया.
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