नीतीश कुमार का “ऑपरेशन ललन", जानिए ललन सिंह के OUT होने की इनसाइड स्टोरी

नीतीश कुमार का “ऑपरेशन ललन", जानिए ललन सिंह के OUT होने की इनसाइड स्टोरी

राजनीति में उठाया गया कोई भी कदम बिना मकसद के नहीं होता है और इसी आधार पर नीतीश कुमार को भी ललन सिंह और लालू प्रसाद के बीच नजदीकियों का एहसास हो गया. लेकिन साथ ही नीतीश कुमार ने ललन सिंह को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. इस पूरे घटनाक्रम का पहला अध्याय तब लिखा गया जब ललन सिंह ने नीतीश कुमार के एक करीबी वरिष्ठ मंत्री के साथ मिलकर नीतीश के सामने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा.

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नीतीश कुमार का “ऑपरेशन ललन", जानिए ललन सिंह के OUT होने की इनसाइड स्टोरीपार्टी से निकाले गए ललन सिंह

ललन सिंह ने शुक्रवार को जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के नए अध्यक्ष बन गये. जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से लगातार ललन सिंह को उनके पद से हटाने की तैयारी कर रहे थे. नीतीश कुमार ने जिस तरह से ललन सिंह को पार्टी से किनारे किया है उसके पीछे की अंदरुनी कहानी भी जबरदस्त है. ललन तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते थे. दरअसल, यह कहानी तब शुरू होती है जब ललन सिंह पिछले कुछ महीनों में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के करीब आने लगे और दोनों नेताओं के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी.

ललन सिंह की प्लानिंग का हुआ पर्दाफाश

राजनीति में उठाया गया कोई भी कदम बिना मकसद के नहीं होता है और इसी आधार पर नीतीश कुमार को भी ललन सिंह और लालू प्रसाद के बीच नजदीकियों का एहसास हो गया. लेकिन साथ ही नीतीश कुमार ने ललन सिंह को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. इस पूरे घटनाक्रम का पहला अध्याय तब लिखा गया जब ललन सिंह ने नीतीश कुमार के एक करीबी वरिष्ठ मंत्री के साथ मिलकर नीतीश के सामने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा. लालू और ललन सिंह के रिश्ते के चलते ललन सिंह ने नीतीश कुमार के सामने तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे नीतीश कुमार ने खारिज कर दिया. जानकारी के मुताबिक, ललन सिंह नीतीश कुमार को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वह 18 साल तक बिहार में मुख्यमंत्री पद पर रहे हैं और अब उन्हें तेजस्वी को सत्ता सौंप देनी चाहिए, जिसके लिए नीतीश तैयार नहीं हुए.

ललन और लालू के बीच हुई थी ये डील! 

जब नीतीश कुमार ने ललन सिंह के तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, उसके बाद ही ललन सिंह जनता दल यूनाइटेड को तोड़ने की योजना बनाने लगे. सूत्रों के मुताबिक, कुछ हफ्ते पहले जनता दल यूनाइटेड के करीब 12 विधायकों की एक गुप्त बैठक हुई थी. डील के मुताबिक ललन सिंह इन 10-12 विधायकों की मदद से तेजस्वी यादव की ताजपोशी करने की योजना बना रहे थे, लेकिन इस गुप्त बैठक की भनक नीतीश कुमार को लग गई. ललन सिंह राज्यसभा जाना चाहते थे. ललन सिंह और लालू प्रसाद के बीच हुई गुप्त डील के मुताबिक ललन सिंह को जनता दल यूनाइटेड के 12 विधायकों को तोड़कर तेजस्वी यादव की सरकार बनानी थी और बदले में राजद उन्हें राज्यसभा भेजती.

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ललन सिंह को सांसद बनाने की थी प्लानिंग!

विधानसभा में अगर संख्या बल की बात करें बिना जनता दल यूनाइटेड (45) के आरजेडी (79), कांग्रेस (19), सीपीआईएमएल (12), सीपीआई (2), सीपीएम (2) और निर्दलीय (1) मिलाकर कुल 115 की संख्या है. ऐसे में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने के लिए 7 अन्य विधायकों की जरूरत थी जिसकी जुगाड़ में ललन सिंह लगे हुए थे. ललन सिंह अगर अपने प्लानिंग में कामयाब हो जाते तो फिर उन्हें आरजेडी राज्यसभा भेज सकती थी. क्योंकि अगले साल यानी अप्रैल 2024 में राज्यसभा में पार्टी सांसद मनोज झा की सदस्यता समाप्त होने वाली है और उन्हीं के बदले लालू प्रसाद ललन सिंह को राज्यसभा भेज सकते थे. 

मुंगेर से लोकसभा सांसद हैं ललन

दरअसल, जानकारी के मुताबिक ललन सिंह को यह एहसास हो गया था कि मौजूदा समय में वह मुंगेर से लोकसभा सांसद हैं. और अगर दोबारा वह मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो उनकी स्थिति इस बार बहुत खराब है और वह चुनाव हार भी सकते हैं. इसी कारण से वह राज्यसभा जाना चाहते थे. 

JDU के बागी विधायक क्या हो जाते अयोग्य? 

ललन सिंह की प्लानिंग के मुताबिक एक बात सामने आ रही है कि अगर जनता दल यूनाइटेड के एक दर्जन विधायक पार्टी से बगावत कर बिहार में राजद की सरकार बनाते तो क्या उनकी सदस्यता खत्म हो जाती? क्योंकि दल-बदल विरोधी कानून के मुताबिक अगर 2/3 से कम विधायक पार्टी से बगावत करते हैं तो उन सभी की सदस्यता जा सकती है. जनता दल यूनाइटेड के मामले में अयोग्यता से बचने के लिए कम से कम 30 विधायकों को एक साथ पार्टी छोड़नी होगी और राजद का समर्थन करना होगा. लेकिन सवाल उठता है कि फिर ऐसी स्थिति में ललन सिंह महज एक दर्जन विधायकों के साथ तेजस्वी की सरकार बनाने की कैसे सोच रहे थे?

तेजस्वी को CM बनाने की थी प्लानिंग!

इसके पीछे की कहानी यह है कि सिर्फ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास ही यह पावर है कि अगर वह किसी मौजूदा विधायक को पार्टी से बाहर निकालते हैं तो उनकी सदस्यता खत्म नहीं होगी. ऐसे में प्लानिंग के मुताबिक ललन सिंह अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का फायदा उठाकर एक दर्जन विधायकों को पार्टी से बाहर निकालने वाले थे और फिर तेजस्वी के आते ही ये सभी विधायक जो अयोग्य नहीं थे, उन्हें तुरंत मंत्री पद की शपथ दिला दी जाती. तब बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार बनती.

पूरे खेल में विधानसभा स्पीकर की भूमिका

इस पूरे खेल में विधानसभा स्पीकर की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है. क्योंकि इन दर्जन भर विधायक अयोग्य करार न दिए जाएं. इस मामले में स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और इसीलिए पिछले कुछ दिनों से लगातार लाल विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी से संपर्क में थे जो कि राजद के विधायक भी हैं. प्लानिंग के मुताबिक इन सभी दर्जन भर विधायकों को मान्यता दे देते और फिर बिहार में तेजस्वी सरकार बन जाती. लेकिन इस पूरे प्लानिंग की खबर नीतीश कुमार को लग गई. बताया जा रहा है कि दर्जन भर विधायकों ने जिन्होंने गुप्त मीटिंग की थी उन्हें में से एक ने नीतीश कुमार को यह खबर लिख कर दी. जिसके बाद नीतीश कुमार ने "ऑपरेशन ललन" की शुरुआत कर दी. (रोहित कुमार की रिपोर्ट)

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