केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशकों के साथ मैराथन बैठक की आज शुरुआत की. बैठक नई दिल्ली के एनएएससी कॉम्प्लेक्स स्थित बोर्ड रूम में हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने आईसीएआर के विभिन्न प्रभागों द्वारा किए जा रहे शोध प्रयोगों की जानकारी लेने के साथ ही भावी रणनीतियों के बारे में विस्तार से मार्गदर्शन दिया.
किसानों की खुशहाली के लक्ष्य को फोकस रखते हुए केंद्रीय मंत्री चौहान ने बैठक की शुरुआत में कहा कि जब अंतिम पंक्ति का किसान समृद्ध बनेगा, तभी सही मायनों में विकसित भारत का संकल्प पूरा होगा. चौहान ने प्रमुख फसलों की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर बीज किस्में विकसित करने पर जोर दिया, साथ ही कृषि प्रगति में नवाचारों को बढ़ावा देने और आगामी वर्षों में आशाजनक परिणाम हासिल करने को केंद्र में रखते हुए जरूरी दिशा-निर्देश दिए.
बैठक में सबसे पहले फसल प्रभाग (डिवीजन) ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह के सामने प्रजेंटेशन दी, जिसमें खाद्यान उत्पादन के लिए अच्छे बीजों के साथ ही समग्र पहलुओं पर विस्तार से भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान शिवराज सिंह ने केंद्र सरकार की बजट घोषणा (2025-26) की प्रमुख चार घोषणाओं, जिसमें दलहन में आत्मनिर्भरता, उच्च उपज वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन, कपास उत्पादकता के लिए मिशन, फसलों के जर्मप्लाज्म के लिए जीन बैंक में तेजी से प्रगति के साथ कार्य करने को कहा.
चौहान ने अच्छी किस्म के बीज बनाने की दिशा में पूरी प्राथमिकता और समर्पण से काम करने के लिए कहा. दलहन में मेढ़ वाली किस्म विकसित करने पर भी जोर दिया. सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देने पर विशेष रूप से जोर देते हुए कृषि मंत्री ने इस दिशा में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कृषि मंत्रियों के साथ चर्चा की बात कही.
केंद्रीय मंत्री ने सोयाबीन की खेती को खरीफ फसल की बुआई के दौरान बढ़ावा देने के लिए भरपूर प्रयास करने के लिए कहा और किसानों में सोयाबीन के पैदावार के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर जन जागरुकता अभियान चलाने की भी बात कही.
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि बीजों की नई किस्मों का विकास हो और ये किसानों तक जल्दी पहुंचे, इस बात की कोशिश होना चाहिए. देशभर के बीज केंद्र प्रभावी भूमिका निभाते हुए काम करें. विशेषकर यह सुनिश्चित हो कि छोटे और सीमांत किसानों तक तकनीकों का फायदा ज्यादा से ज्यादा और जल्दी पहुंचे.
चौहान ने कहा कि गेहूं और चावल के साथ, दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की उपज पर भी जोर देने की जरूरत है. उन्होंने कीटनाशकों के सही इस्तेमाल पर भी जोर दिया और कहा कि कीटनाशकों के बारे में और अधिक रिसर्च और व्यवस्थित शोध की जरूरत है. मृदा परीक्षण किसानों के अपने खेतों में ही करने के प्रयास होने चाहिए, ऐसा करने से किसानों में रूचिपूर्वक खेती करने की पहल में मदद मिलेगी. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने गांव के स्तर पर खेत से बाजार तक की श्रृंखला को व्यवस्थित करने की कोशिश पर भी बात की और कृषि समितियों की सक्रिय भूमिका को रेखांकित किया.
चौहान ने कहा कि जिन केवीके में कार्य प्रदर्शन में समस्याएं आ रही हैं, उसे जल्द से जल्द दूर करते हुए कार्य प्रदर्शन बेहतर करने का प्रयास हो और सभी केवीके आम किसानों तक अपनी पहुंच बनाएं. कृषि अनुसंधान निचले स्तर तक पूरे तालमेल के साथ पहुंचे, यह सुनिश्चित हो.
उन्होंने कहा कि केवीके मांग आधारित सेवाएं कैसे दे सकता है, उसका भी एक मैकेनिजम बनाया जाए. उन्होंने हर केवीके में एक ब्लॉक प्राकृतिक खेती के लिए निर्धारित करने का भी विचार रखा. बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल जाट सहित सभी उप महानिदेशक, सहायक महानिदेश और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today