13 फरवरी से शुरू हुआ किसान आंदोलन 90 दिन बाद भी जारी है. अब इस आंदोलन का सीधा असर भारतीय रेल पर नजर आने लगा है. रेलवे के संचालन पर इसका गंभीर असर पड़ा है और अब तक करीब 111 ट्रेनों का रास्ता बदला गया है तो वहीं 69 ट्रेनों को कैंसिल कर दिया गया है. पिछले एक महीने से यही स्थिति है और अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकल सका है. रेलवे अथॉरिटीज को ट्रेनों का रास्ता बदलने और उन्हें कैंसिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 16 अप्रैल से यही हालात हैं. उस समय किसानों ने शंभू बॉर्डर के करीब अंबाला में राजपुरा-अंबाला सेक्शन को ब्लॉक कर दिया था. इन विरोध प्रदर्शनों की वजह से रेलवे को अमृतसर, जम्मू-कटरा, पठानकोट, उधमपुर और फिरोजपुर को कनेक्ट करने वाली ट्रेनों का रास्ता बदलना पड़ा. इस वजह से लंबी दूरी की पैसेंजर ट्रेनों पर खासा असर पड़ा है. यात्रा का समय बढ़ गया है और यात्रियों को डेढ़ से दो घंटे तक अपनी यात्रा को देने पड़ रहे हैं.
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वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन जो अमृतसर, जम्मू और दिल्ली के बीच दौड़ती हैं, वह भी दो से पांच घंटे तक लेट हो रही हैं. इस स्थिति को संभालने के लिए रेलवे को दो मुख्य रास्ते डायवर्जन के लिए प्रयोग करने पड़ रहे हैं. अब इन ट्रेनों को सानेहवाल-मोरिंदा-चंडीगढ़ और लुधियाना-धुरी-अंबाला सेक्शन के जरिये निकाला जा रहा है. अंबाला डिविजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) मनदीप सिंह ने कहा कि करीब 80 ट्रेनों का रास्ता बदला गया है ताकि बाकी देश से इन जगहों को रोजाना जोड़ा रखा जा सके.
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उन्होंने यह भी कहा कि मोहाली-मोरिंदा-श्रीहिंद सेक्शन को उन ट्रेनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है जो पंजाब की तरफ जा रही हैं. जबकि सानेहवाल-मोरिंदा-मोहाली सेक्शन को पंजाब से आने वाली ट्रेनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है. इस उपाय का मकसद ट्रेन यातायात को सहज बनाए रखना है. किसान विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से कई ट्रेनों को कैंसिल भी किया गया है. जो ट्रेनें कैंसिल हुई हैं उनमें शान-ए-पंजाब सुपरफास्ट एक्सप्रेस और दिल्ली-अमृतसर इंटरसिटी एक्सप्रेस भी शामिल हैं. रोजाना कुल 69 ट्रेनें कैंसिल की जा चुकी हैं.
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जिन ट्रेनों का रास्ता बदला गया है उनमें नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, जय नगर, कोलकाता, मुंबई, हावड़ा, डिब्रूगढ़, टाटा नगर, पूर्णिया, विशाखापट्टनम, इंदौर, सहरसा, कटिहार और नांदेड़ साहिब जाने वाली ट्रेनें शामिल हैं. इसके अलावा फिरोजपुर से देवघर झारखंड जाने वाली ट्रेन और उधमपुर से दुर्गापुर और दौलतपुर चौक से पुरानी दिल्ली जाने वाली ट्रेन को मोहाली-चंडीगढ़-घाग्गर के रास्ते अंबाला पहुंचाया जा रहा है.
सिर्फ इतना ही नहीं रेलवे अथॉरिटीज को इस स्थिति को संभालने के लिए ओवरटाइम करना पड़ रहा है. लेकिन यात्रा का समय और कनेक्टिविटी यात्रियों और रेलवे दोनों के लिए ही चुनौती बना हुआ है. कटरा-जम्मू के बीच चलने वाली 55 ट्रेनों का रास्ता बदला गया और इन्हें सानेहवाल-मोरिंदा-चंडीगढ़ के रास्ते निकाला जा रहा है.
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