एमएसपी के लिए कानून, इतना नहीं है आसान, जानें क्‍या है इसकी मुश्किल और क्‍या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ 

एमएसपी के लिए कानून, इतना नहीं है आसान, जानें क्‍या है इसकी मुश्किल और क्‍या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ 

सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा अपना विरोध प्रदर्शन बंद करने के दो साल से अधिक समय बाद, किसान कई मांगों के साथ फिर से सड़कों पर उतर आए हैं. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर एमएसपी की मांग किसानों ने पिछले विरोध के दौरान भी की थी.

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एमएसपी के लिए कानून, इतना नहीं है आसान, जानें क्‍या है इसकी मुश्किल और क्‍या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ किसान कर रहे हैं एमएसपी की मांग

सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा अपना विरोध प्रदर्शन बंद करने के दो साल से अधिक समय बाद, किसान कई मांगों के साथ फिर से सड़कों पर उतर आए हैं. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग किसानों ने अपने पिछले विरोध के दौरान भी की थी. केंद्र सरकार ने तब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दों पर आगे विचार करने के लिए पूर्व केंद्रीय कृषि सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. 

स्वामीनाथन आयोग ने क्या कहा

एमएसपी यानी वह कीमत जिस पर बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान कीमत में अत्यधिक गिरावट के खिलाफ सरकार किसानों से फसल खरीदती है, किसानों की सुरक्षा के लिए तय की जाती है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सरकार को एमएसपी को उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50% अधिक तक बढ़ाना चाहिए. इसे C2+ 50 फीसदी फॉर्मूला भी कहा जाता है.  इसमें किसानों को 50 फीसदी रिटर्न देने के लिए पूंजी की अनुमानित लागत और भूमि पर किराया (जिसे 'सी2' कहा जाता है) शामिल है. 

दिसंबर 2023 में राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा था कि सरकार ने जुलाई, 2022 में एमएसपी समिति का गठन किया है जिसमें किसानों के प्रतिनिधि, केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, कृषि अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक आदि शामिल हैं. समिति को एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए सुझाव देने हैं. भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करती है. 

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क्‍यों एमएसपी लागू करना है मुश्किल 

सरकार के अनुसार, सीएसीपी एमएसपी का सुझाव देते समय विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है. इसमें समग्र मांग-आपूर्ति की स्थिति, उत्पादन की लागत, घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय कीमतें, अंतर-फसल मूल्य समानता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें और अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव शामिल है. एमएसपी के लिए कानूनी स्थिति के संबंध में कार्यान्वयन के मुद्दे कई हैं, जिसमें एक निश्चित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता भी शामिल है जिसे लागू करना मुश्किल हो सकता है. 

क्‍या बाकी किसानों को होगा इससे फायदा 

जब कोई खरीदार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान करने को तैयार नहीं होगा तो सरकार के पास बड़ी मात्रा में उपज का भंडारण करने के लिए आवश्यक भौतिक संसाधन नहीं हो सकते हैं. सरकार को खरीद और उन खरीदों को करने में तेजी की एक और चिंता का भी सामना करना पड़ेगा.  कुछ विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि एमएसपी लगाने से भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है, क्योंकि निजी व्यापारियों को एमएसपी पर खरीदारी करने के लिए मजबूर करना मुश्किल हो सकता है. साथ ही, जो किसान उक्त फसलें नहीं उगाते हैं वे इस मांग का समर्थन नहीं कर सकते क्योंकि इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा. 

क्या सरकार एमएसपी के लिए कानून ला सकती है

सरकार को अगर ठीक लगे तो उसके पास एमएसपी के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है. हालांकि कार्यान्वयन और उसके बाद आने वाली बाधाएं बहस के लायक हैं. सरकार ने पहले भी आवश्यक वस्तु अधिनियम या कृषि और खाद्य सामग्री, जिसमें अनाज, दालें, आलू आदि शामिल हैं, में संशोधन का प्रस्ताव दिया है. कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, एमएसपी को लेकर कानूनी बाधाएं एक जटिल मुद्दा है. इसके अलावा, ये सिर्फ कानूनी मुद्दे नहीं हैं, बल्कि कार्यान्वयन के और भी मुद्दे हैं. कानूनी तौर पर इन्हें उतनी आसानी से हल नहीं किया जा सकता है, जितनी किसान उम्मीद कर रहे हैं कि ये हो जाएंगे. 

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दो मुद्दे हैं सबसे अहम 

उनके अनुसार, इसमें शामिल मुद्दे दो प्रकार के हैं. इनमें से एक है हर राज्य में एमएसपी का बुनियादी ढांचा तैयार करना ताकि किसान आसानी से अपने उत्पाद देने के लिए गोदामों में जा सकें.  दूसरा यह सुनिश्चित करना कि किसानों को कुछ आसान ऋण मिले ताकि वे अपने उत्पादों को पहले बेचने के लिए बिचौलियों के झांसे में न आएं. अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है. लेकिन मूल्य नियंत्रण समवर्ती सूची में आता है और इसलिए केंद्र सरकार इस विषय पर कानून बनाने के लिए सक्षम है. अगर विधायी मंशा मौजूद है तो ऐसी कोई कानूनी बाधा नहीं हो सकती. 

क्‍या है एमएसपी का मकसद 

उनके अनुसार, एमएसपी प्रणाली न्यूनतम मूल्य तय करने वाले कानून की परिकल्पना करती है ताकि किसान को आर्थिक रूप से नुकसान न हो. न्यूनतम या अधिकतम कीमतें तय करने वाले ऐसे कानून कोई नई बात नहीं हैं. उन्होंने कहा कि, हमारे पास मूल्य नियंत्रण था, फिर हमारे पास आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी तय थीं. जब उपभोक्ता के लिए अधिकतम मूल्य तय करने वाले कानून बनाए जा सकते हैं, तो किसानों को कुछ आय की गारंटी देने के लिए कानून बनाने में कोई कानूनी बाधा नहीं हो सकती है. वे एक अलग वर्ग हैं जिन्हें राज्य के समर्थन की आवश्यकता है क्योंकि वे आर्थिक चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते हैं. 

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