औसत से ज्‍यादा बारिश फिर भी महाराष्‍ट्र के मराठवाड़ा के 427 गांवों में सूखा! टैंकर से हो रही पानी की सप्‍लाई 

औसत से ज्‍यादा बारिश फिर भी महाराष्‍ट्र के मराठवाड़ा के 427 गांवों में सूखा! टैंकर से हो रही पानी की सप्‍लाई 

महाराष्‍ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल अब तक औसत से ज्‍यादा बारिश होने के बाद भी कई गांवों में सूखे की स्थिति है. एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र के 427 गांव और 106 बस्तियां अभी भी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं. आपको बता दें कि यह महाराष्‍ट्र का वह हिस्‍सा है जो मौसम संबंधी असामान्यताओं के कारण क्षेत्र की वर्षा आधारित कृषि की उत्पादकता अस्थिर है.

Advertisement
औसत से ज्‍यादा बारिश फिर भी महाराष्‍ट्र के मराठवाड़ा के 427 गांवों में सूखा! टैंकर से हो रही पानी की सप्‍लाई मराठवाड़ा में इस बार औसत से ज्‍यादा बारिश फिर भी मुश्किल

महाराष्‍ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल अब तक औसत से ज्‍यादा बारिश होने के बाद भी कई गांवों में सूखे की स्थिति है. एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र के 427 गांव और 106 बस्तियां अभी भी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं. आपको बता दें कि यह महाराष्‍ट्र का वह हिस्‍सा है जो मौसम संबंधी असामान्यताओं के कारण क्षेत्र की वर्षा आधारित कृषि की उत्पादकता अस्थिर है. ताजा रिपोर्ट एक बार फिर किसानों की चिंताएं बढ़ा सकती है. मराठवाड़ा में बारिश अस्थिर होने की वजह से पानी का संकट और अक्‍सर खेती से जुड़ी चुनौतियां सामने आती रहती हैं. 

29 फीसदी ज्‍यादा बारिश 

राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में जुलाई के अंत तक 412.9 मिमी बारिश हुई है. यह औसत अपेक्षित बारिश से 28.95 प्रतिशत अधिक है, जो 320.2 मिमी है.  लेकिन मराठवाड़ा के जिलों को पानी की सप्‍लाई करने वाले जलाशयों और बाकी स्रोतों में पर्याप्त स्टॉक नहीं है. इस वजह से अधिकारियों ने छत्रपति संभाजीनगर, जालना, हिंगोली, नांदेड़ और धाराशिव जिलों के 427 गांवों और 106 बस्तियों में पानी की सप्‍लाई के  लिए 682 टैंकर तैनात किए हैं. 

यह भी पढ़ें-बरसात में बकरियों को खूब खि‍लाएं हरा चारा, लेकिन रखें ये खास ख्याल

किस गांव का क्‍या है हाल 

छत्रपति संभाजीनगर में 31 जुलाई तक 239 गांव और 3 बस्तियां अभी भी 356 टैंकरों पर निर्भर हैं जो इस क्षेत्र में सबसे ज्‍यादा है. जालना जिले में 167 गांवों और 45 बस्तियों को इस अवधि के दौरान टैंकरों के ज़रिए पानी मिला.रिपोर्ट में कहा गया है कि परभणी, लातूर और बीड जिलों में पानी के टैंकर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है. मराठवाड़ा क्षेत्र में 877 बड़ी, मध्यम और छोटी सिंचाई परियोजनाएं हैं, जिनकी वॉटर स्‍टोरेज कैपेसिटी कुल मिलाकर 8,155.12 मिलियन क्यूबिक मीटर है. रिपोर्ट के अनुसार 31 जुलाई को इन स्रोतों में 17.77 प्रतिशत (लगभग 1,400 एमसीएम) पानी का स्टॉक था. 

यह भी पढ़ें-झारखंड में धान उत्पादन पर संकट, मॉनसून की बेरुखी से मात्र 16 फीसदी क्षेत्र में हो सकी रोपाई

पानी का संकट सबसे बड़ी चिंता 

मराठवाड़ा में पानी का संकट हर बार चिंता का विषय होता है. यहां पर हर साल सिर्फ 600-800 मिमी की बारिश और घटते भूजल स्तर के साथ, इस क्षेत्र को गंभीर सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ता है. इस वजह से किसानों की आजीविका पर भी असर पड़ा है. कई किसान या तो इस क्षेत्र को छोड़कर जा रहे हैं या फिर आत्महत्या करने को मजबूर हैं. आपको बता दें कि मराठवाड़ा को कृषि विशेषज्ञ किसानों का 'ग्रेवयार्ड' भी कहते हैं क्‍योंकि यहां पर किसानों के आत्‍महत्‍या की दर महाराष्‍ट्र में सबसे ज्‍यादा है. 

POST A COMMENT