बरेली में स्थित 300 बेड वाले सरकारी अस्पताल को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सरकार इस अस्पताल को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत निजी हाथों में सौंपने की योजना बना रही है, जिसका किसान एकता संघ ने कड़ा विरोध किया है. संघ का कहना है कि यह फैसला गरीबों, किसानों और मजदूरों के हितों के खिलाफ है. सरकार ने बरेली के इस अस्पताल को आधुनिक मेडिकल हब बनाने की योजना बनाई थी, जिसकी घोषणा खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2025 में अपने दौरे के दौरान की थी. लेकिन अब खबरें सामने आ रही हैं कि सरकार इसे पीपीपी मॉडल पर निजी संस्थाओं को सौंपने जा रही है. इससे आम जनता और किसान संगठनों में गहरी नाराजगी है.
किसान एकता संघ ने इस अस्पताल के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया था. संगठन ने बताया कि उन्होंने इस अस्पताल की स्थापना के लिए लगातार छह महीने तक आंदोलन किया, जिसमें धरना, जनसभा और ज्ञापन शामिल थे. उनका उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को निशुल्क और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें.
संघ का मानना है कि यदि यह अस्पताल निजी हाथों में चला गया, तो इसका सीधा असर गरीब तबके पर पड़ेगा. निजी संस्थाएं इलाज को मुनाफे के नजरिए से देखेंगी, जिससे इलाज महंगा हो जाएगा और गरीब लोग चिकित्सा से वंचित रह जाएंगे.
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इस फैसले के विरोध में किसान एकता संघ के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा. साथ ही, उन्होंने मंडलायुक्त से भी मिलकर अपनी मांगों को दोहराया.
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है और अस्पताल को निजी हाथों में देती है, तो वे दोबारा आंदोलन की राह अपनाएंगे.
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संघ ने पहले ही 26 मार्च 2025 से पदयात्रा निकालने की घोषणा कर दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री के बरेली दौरे को देखते हुए प्रशासन के आग्रह पर इसे अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया. इसके बाद, संघ के प्रतिनिधिमंडल ने बरेली के प्रभारी मंत्री जेपीएस राठौर से भी मुलाकात की थी. उन्होंने संघ को भरोसा दिलाया था कि अस्पताल से जुड़ी योजना जनहित में ही लागू की जाएगी.
इस आंदोलन को सिर्फ किसान संगठन ही नहीं, बल्कि बरेली की आम जनता का भी समर्थन मिल रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को गरीबों की स्वास्थ्य सेवाओं को निजी कंपनियों के हवाले करने के बजाय अस्पताल को पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में चलाना चाहिए. इससे न केवल इलाज सस्ता और सुलभ रहेगा, बल्कि सेवा में पारदर्शिता भी बनी रहेगी.
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