तीन साल पहले, गुस्से में राज्य विधानसभा से बाहर निकलते हुए, चंद्रबाबू ने नायडू ने सिर्फ मुख्यमंत्री के तौर पर लौटने की कसम खाई थी. अपनी कसम के अनुसार ही वह अब उस पद पर हैं और सदन में दाखिल होने के लिए तैयार हैं. आंध्र प्रदेश के राज्यपाल अब्दुल नजीर ने बुधवार को 74 साल के नायडू को पद की शपथ दिलाई. बतौर मुख्यमंत्री यह नायडू का चौथा कार्यकाल है. तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व वाले एनडीए ने विधानसभा चुनावों में कुल 175 विधानसभा सीटों में से 164 सीटें जीतकर जीत हासिल की. अकेले टीडीपी ने 135 सीटें हासिल कीं, जबकि उसके सहयोगी जनसेना और बीजेपी ने क्रमशः 21 और आठ सीटें जीतीं हैं. इस वजह से पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सिर्फ 11 सीटों पर ही सिमट गई.
साल 2019 के विधानसभा चुनावों में अपमानजनक हार का सामना करने के बाद, नायडू ने बिना हार माने राज्य और केंद्र की राजनीति दोनों में अपनी अहमियत बनाए रखने के लिए बहुत कोशिशें कीं. निवर्तमान सदन में टीडीपी के 23 सदस्य हैं. टीडीपी ने लोकसभा चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. उसने राज्य की कुल 25 सीटों में से 16 पर जीत हासिल की है. जबकि सहयोगी बीजेपी और जनसेना पार्टी ने क्रमशः तीन और दो सीटें जीती हैं. इस तरह से नायडू भारत की राजनीति में किंगमेकर के तौर पर उभरे हैं. 543 सदस्यीय लोकसभा में बीजेपी के बाद सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में टीडीपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. बीजेपी, जो लोकसभा में 272 के बहुमत से दूर रह गई, सरकार बनाने के लिए टीडीपी और जनता दल (यूनाइटेड) पर निर्भर रही.
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अनुभवी राजनेता चंद्रबाबू नायडू की किस्मत ने एक नया मोड़ लिया है. नायडू को अविभाजित आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद को टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर हब में बदलने का श्रेय दिया जाता है. 20 अप्रैल, 1950 को आंध्र प्रदेश के अविभाजित चित्तूर जिले के नरवारीपल्ली में जन्मे नायडू कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और कैबिनेट मंत्री बने. हालांकि, बाद में वह उस टीडीपी में शामिल हो गए, जिसकी स्थापना उनके दिवंगत ससुर और दिग्गज अभिनेता एन टी रामा राव ने की थी. नायडू पहली बार सन् 1995 में मुख्यमंत्री बने और दो बार सीएम रहे. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल आंध्र प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ समय के तौर पर याद किए जाते हैं. साल 1995 में उनका कार्यकाल शुरू हुआ और साल 2004 में खत्म हुआ. नौ साल तक लगातार वह पद पर रहे. जबकि तीसरा कार्यकाल राज्य के बंटवारे के बाद आए. तेलंगाना को 10 साल पहले आंध्र प्रदेश से अलग किया गया था.
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सन् 1990 के दशक की शुरुआत में नायडू ने केंद्र में पहली एनडीए सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उस सरकार का नेतृत्व अटल बिहारी वाजपेयी ने किया. इसमें उनकी पार्टी टीडीपी ने बाहर से समर्थन दिया था. साल 2014 में नायडू ने बाकी बचे आंध्र प्रदेश राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. सीएम के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन अगले कार्यकाल में सत्ता गंवा देने के कारण राजधानी बदलने की योजना अधूरी रह गई. सन् 2019 में उन्हें वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बहुत कम उम्र के जगन मोहन रेड्डी के हाथों अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा.
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साल 2021 में विधानसभा में अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों का विरोध करते हुए नायडू विधानसभा से बाहर चले गए थे. उस समय उन्होंने कहा था कि वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में ही वापस आएंगे. लेकिन उनके लिए और भी बुरी खबर तब आई जब साल 2023 में उन्हें वाईएसआरसीपी सरकार द्वारा स्किल डेवलपमेंट घोटाले मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. यह उनके राजनीतिक जीवन का सबसे बुरा दौर था. 9 सितंबर को सुबह-सुबह गिरफ्तारी के बाद नायडू ने राजा महेंद्रवरम केंद्रीय जेल में लगभग दो महीने बिताए. 31 अक्टूबर को अंतरिम जमानत मिली और फिर 20 नवंबर को उन्हें पूर्ण जमानत मिल गई.
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