नेशनल हाईवे हो या कोई चौड़ी सड़क, आपने देखा होगा कि सड़क के बीचों-बीच डिवाइडर पर कनेर पौधे लगे होते हैं. हमें लगता है कि शायद प्रदूषण से बचाने के लिए ऐसा किया गया होगा. ये बात कुछ हद तक सच भी है. लेकिन प्रदूषण ही एकमात्र कारण नहीं है.
वहीं, कई जगहों पर आपको अन्य फूल और पेड़ भी दिखाई देंगी. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि डिवाइडर के बीच की मिट्टी में कोई भी पेड़-पौधा लगाया जा सकता है तो कनेर ही क्यों लगाया जाता है. आइए जानते हैं.
सड़कों पर बड़ी संख्या में कनेर की झाड़ियां लगाई जाती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्हें आमतौर पर सड़क डिवाइडर के रूप में उगाया जाता है और इनमें दीवारों, फुटपाथों, सड़कों और यहां तक कि सूखे से परावर्तित गर्मी को सोखने की क्षमता होती है.
हालांकि, कनेर को ठंड बर्दाश्त करने में परेशानी हो रही है. इसलिए, यदि आप हल्के जलवायु वाले क्षेत्र में रहते हैं, तो आप इस पौधे को कंटेनरों में उगा सकते हैं और मौसम ठंडा होने पर इसे अपने घर के अंदर रख सकते हैं.
कनेर की झाड़ियां सड़क की कंकरीट के बीच भी मजबूती से खड़ी रह सकती हैं और इनके फूल दिखने में भी अच्छे लगते हैं. वहीं, सड़क के डिवाइडर पर कई अन्य झड़ियां भी लगाई जाती हैं.
सड़क के डिवाइडर में लगे हरे-भरे कनेर को देखकर ड्राइवरों का मन भी शांत होता है और आंखों को भी आराम मिलता है. वहीं, वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध से पता चला है कि जब काले पत्थर वाली सड़क के बीचों-बीच हरियाली दिखती है तो मन खुश रहता है.
दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि अंधेरे में दूसरी तरफ से आ रहे वाहन लाइट आंखों पर न पड़े. पेड़-पौधों पर पड़ने के कारण चालक की आंखों को बहुत कम नुकसान होता है और मानसिक थकान कम हो जाती है. इससे दुर्घटना की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है.
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