भारत में अदरक की कई किस्मों की खेती की जाती हैं, वर्तमान में कई क्षेत्रों में अदरक की कई उन्नत किस्में उगाई जा रही है जिसमे से ज्यादार उनका नाम उगाये गये क्षेत्र पर रखा गया है.
अदरक की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जानिए ऐसे ही अच्छी किस्मों के बारे में.
सुप्रभा: इसके पौधों में कल्ले अधिक निकलते हैं. प्रकंद का छिलका सफेद एवं चमकदार होता है. इस किस्म को तैयार होने में 225 से 230 दिनों का समय लगता है. यह किस्म प्रकंद विगलन रोग के लिए प्रतिरोधक है. प्रति एकड़ भूमि से 80 से 92 क्विंटल तक पैदावार होती है.
मरान: ये किस्म हल्के सुनहरे रंग की होती है। 230-240 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की उपज क्षमता 175 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म में मृदु विगलन रोग नहीं लगता। मृदु विगलन रोगरोग में पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है और पत्तियां सूख जाती है.
सुरुची : इस किस्म को किसान ज्यादतर इस्तेमाल करते है इसकी अवधि 200 से 218 दिन लगता है यहा किस्म 218 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी औसतन पैदावार 4.8 टन प्रति एकड़ होती है.
नदिया : उत्तर भारतीय क्षेत्रों में खेती के लिए यह उपयुक्त किस्म है यह किस्म करीब 8 से 9 महीने में फसल पक कर तैयार हो जाती है. एक एकड़ जमीन से 80 से 100 क्विंटल तक अदरक की पैदावार होती है.
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