बिहार के मुजफ्फरपुर में एक किसान ने परंपरागत पौधों की नर्सरी छोड़कर मसालों की नर्सरी शुरू की है. इस नर्सरी के पौधों की मांग इतनी बढ़ गई कि युवक की कमाई लाखों में पहुंच गई है. अब इस युवक के बिजनेस आइडिया को देखने-समझने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं.
इस युवक का नाम विकास कुमार है. खास बात ये कि यह किसान युवक ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई किया है और रोजगार के लिए प्राइवेट नौकरी में हाथ आजमा चुका है. लेकिन नौकरी में मन नहीं रमा तो नर्सरी का बिजनेस शुरू किया. आज उनका यह बिजनेस चकाचक चल रहा है.
नर्सरी का बिजनेस करने वाले किसान विकास कुमार ने बताया कि वो अपने पिता की परंपरागत नर्सरी में ही मसाले के पौधों की नर्सरी लगाने लगे. उनके पिताजी आज भी किसान हैं और कई फसलों की खेती करते हैं. विकास कुमार कहते हैं कि अपने पिताजी की खेती और बागवानी में लगन और मेहनत देखकर इरादा बदल गया.
फिर उन्होंने अपनी प्राइवेट जॉब छोड़ दी. घर पर ही खेती और बागवानी को आगे बढ़ाने के लिए मसाले पर रिसर्च किया. उन्होंने कहा कि रात में सोने के वक़्त मसाले की खेती का ध्यान आया. उसके बाद उन्होंने बंगाल से अजवाइन, दालचीनी, इलायची, लॉन्ग समेत सभी प्रकार के मसाले का पौधा मंगाया और इसकी खेती कर आय बढ़ाई.
मुजफ्फरपुर जिले में मसाले की खेती अनोखी चीज है. जब अगल-बगल के किसानों को मसाले के पौधे के बारे में पता चला तो वे लोग भी मांगने के लिए आने लगे. मसाले के पौधे की डिमांड देखकर नर्सरी की शुरुआत कर दी. अब महीने की कम से कम एक से डेढ़ लाख रुपये आमदनी होती है.
विकास काफी मात्रा में मसाला उगाने की तैयारी में हैं. इससे आने वाले समय में और भी आमदनी और आय बढ़ जाएगी. विकास के पिता राम किशोर सिंह ने बताया कि हम दो भाई लीची, आम और फूल के पौधों की नर्सरी करते थे जिससे परिवार का भरण पोषण होता था.
लेकिन बेटा विकास जब से आया और मसाले के पौधों की नर्सरी करने लगा तो शुरुआत में लगा कि मसाला यहां नहीं चलेगा. लेकिन बंगाल से मंगवाए मसाला का पौधा अजवाइन, औल स्पाइस, इलायची, तेजपत्ता, लेमन ग्रास की काफी डिमांड है. यह सब पौधा यहां के वातावरण में बढ़िया सर्वाइव भी कर रहा है. बेटे की इस नई तकनीक से आमदनी दोगुनी हो गई और कई ब्रांच भी बढ़ गया है.
मुजफ्फरपुर के लिए यह नई तरह की नर्सरी है क्योंकि अभी तक फूल की नर्सरी ही हुआ करती थी. इसके अलावा और भी नर्सरियां लगाई जाती थीं. किसी ने मसाले की नर्सरी के बारे में नहीं सोचा था. वहीं, इसके खरीदार भी बढ़े हैं क्योंकि लोगों को यह नई तरह की खेती दिख रही है. साथ ही इसमें संभावनाएं भी नजर आ रही हैं.
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