मखाना के बारे में तो आप सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं. इसकी पहचान ड्राई फ्रूट्स के रूप में की जाती है. वहीं, कई लोग इन्हें फॉक्स नट या लोटस सीड के नाम से भी जानते हैं. वहीं बात करें इसकी खेती की तो ये जितना ही स्वास्थ्यवर्धक होता है, इसकी खेती उतनी ही कठिन होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धान की तरह ही इसकी खेती भी सीधी बुवाई तकनीक से की जाती है. आइए जानते हैं कैसे?
अगर आप भी मखाने की सीधी बुवाई से खेती करना चाहते हैं तो आप इस विधि से खेती करने के लिए 30 से 90 किलो स्वस्थ मखाना के बीज को तालाब में फरवरी के महीने में हाथों से छिड़क दें.
बीज छिड़कने के 35 से 40 दिन बाद पानी में बीज उगना शुरू हो जाता है. वहीं, मार्च या अप्रैल में मखाने के पौधे पानी के ऊपरी सतह पर निकल आते हैं. इस अवस्था में पौधों से पौधों के बीच की दूरी 1 मीटर रखने के लिए अतिरिक्त पौधों को निकाल दिया जाता है, ताकि आपकी फसल अच्छे से ग्रोथ कर सके.
मखाने की सीधी बुवाई तकनीक से खेती करने के लिए स्वस्थ और नए पौधों की रोपाई मार्च से अप्रैल के महीने में कतार से कतार और पौधों से पौधों की दूरी 1,20 मीटर से 1.25 मीटर पर की जाती है. इसकी बुवाई भी धान की तरह सीधी की जाती है.
वहीं, रोपाई के लगभग दो महीने के बाद चमकीले बैगनी रंग के फूल निकलने लगते हैं. फूल निकलने के 35 से 40 दिनों के बाद फल पूरी तरह से विकसित हो जाता है. इसके बाद किसान इसकी तुड़ाई कर सकते हैं.
मखाने की खेती देखने-सुनने में जितनी आसान लगती है. यह उतना ही कठिन काम है. दरअसल, मखाने की खेती करने से पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है. इसकी खेती के लिए चिकनी और चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है. जब मखाने के नवजात पौधे का पत्ता प्लेट के जैसा हो जाता है, तो वह उस साइज में रोपाई के लिए उपयुक्त रहता है.
मखाने के स्वस्थ और नवजात पौधे की जड़ को मिट्टी के अंदर दबाया जाता है. फिर उसकी कली को पानी के अंदर रखा जाता है. इससे मखाने का नया पौधा तैयार हो जाता है. आगे चलकर कई प्रोसेस पूरा होने के बाद मखाना निकाला और इस्तेमाल किया जाता है. बता दें कि बिहार में मखाना की सबसे अधिक खेती की जाती है.
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