भारत में ज्यादातर गांव-देहात के लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं. यहां के किसान सबसे ज्यादा गेहूं, चावल, दालें, गन्ना, और कपास जैसी फसलें उगाते हैं, लेकिन फिर भी किसानों की हालत माली रहती है. क्योंकि हर साल किसानों को बाढ़, सूखा या फसल में होने वाली बीमारियों का सामना करना पड़ता है. जिसके चलते किसान हमेशा परेशान रहता है.
किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए खेती-किसानी में बहुत से ऐसे तरीके भी हैं, जिनकी मदद से किसान लाखों-करोड़ों रुपये कमा सकते हैं. ऐसे ही एक किसान शिवचरण कौशिक जो हरियाणा के करनाल जिले के सलारू गांव के रहने वाले हैं, जो अपने खेतों में फसलों की जगह महोगनी का पेड़ लगाकर लाखों रुपये मुनाफा कमा रहे हैं.
किसान शिवचरण महोगनी के हजारों पेड़ लगाकर करोड़ों रुपये कमाने की ओर अग्रसर है. 2 साल पहले सेवानिवृत्त हुए किसान परिवार से जुड़े पूर्व शिक्षक शिवचरण ने बताया कि उनके पिता ही उनके प्रेरणा स्रोत है, उनकी वजह से वो एग्रो फोर्सटी में आए और उन्होंने महोगनी के पौधे लगाए. उन्होंने बताया कि महोगनी के पेड़ लगाकर करोड़ों रुपये की कमाई की जा सकती है.
महोगनी की लकड़ी बहुत ज्यादा ठंडे तामपान वाले देशों में एक्सपोर्ट होती है. इससे लकड़ी के घरो में बनाए जाने वाली लकड़ी के फर्श में महोगनी का प्रयोग होता है. शिवचरण ने बताया कि उन्होंने अपने 6 एकड़ जमीन में मोहगनी के 3 हजार पौधे लगाए हैं, जिसमें प्रति पौधा लगाने में 200 रुपये की लागत आई है.
किसान शिवचरण कौशिक ने बताया कि एक पौधा जब 12 से 15 साल में पेड़ बनता है तो एक पेड़ की लकड़ी 80 से 1 लाख रुपये में बिक जाती है. ऐसे में महोगनी की खेती से काफी अच्छी कमाई की जा सकती है. उन्होंने बताया कि महोगनी की खेती के साथ उन्होंने बहुउद्देशीय खेती भी की है जिसका उन्हें अलग से लाभ मिल रहा है.
महोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाने वाली लकड़ी होती है. यह लकड़ी कभी भी खराब नही होती है. महोगनी की लकड़ी बाजार में काफी महंगी मिलती है. इस पर पानी का भी कोई असर नहीं पड़ता है. यह पेड़ 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान को सहने की क्षमता रखता है और पानी न भी हो तब भी यह लगातार बढ़ता ही जाता है.
महोगनी की लकड़ी फर्नीचर और बंदूक का बट बनाने के काम आता है. इसके अलावा इससे नाव भी बनाई जाती है. इसके पत्तों का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में होता है. इसके अलावा इसकी पत्तियों और बीज के तेल का इस्तेमाल मच्छर मारने वाली दवाइयों और कीटनाशक को बनाने में किया जाता है.
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