हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के रणधीर सिंह ने ऑर्गेनिक खेती के दम पर कई मिसालें कायम की हैं. वे न सिर्फ 35 से अधिक प्रकार की सब्जियां और औषधीय पौधे उगाते हैं, बल्कि उन्होंने सबसे लंबी लौकी और सबसे भारी लहसुन उगाने का रिकॉर्ड भी बनाया है. वे अपने नाम 16 रिकॉर्ड दर्ज करा चुके हैं.
रणधीर सिंह ने 6 फीट 2 इंच सबसे लंबी लौकी उगाने का कारनामा किया है, जो कि लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है. इन्होंने 500 ग्राम और 700 ग्राम वजन की सबसे भारी लहसुन उगाकर भी रिकॉर्ड बनाया है. रणधीर सिंह पिछले 30 सालों से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं और उन्होंने अपने खेतों में किसी भी रासायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया है. उनका मानना है कि ऑर्गेनिक खेती न सिर्फ सेहत के लिए अच्छी है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है.
रणधीर सिंह ने खुद ऑर्गेनिक तरीके से सब्जियां उगाने का निर्णय लिया और 1992 में अपने घर के पास किचन गार्डन की शुरुआत की. आज उनका यह गार्डन पूरे एरिया में एक मिसाल बन चुका है. वह अन्य किसानों को भी ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं और अपने सफल प्रयोगों से यह साबित कर चुके हैं कि बिना रसायनों के भी बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है.
रणधीर सिंह के किचन गार्डन में आज आलू, टमाटर, गोभी, लौकी, प्याज, गाजर, मूली, पालक, मेथी, मटर, ब्रोकली, नींबू, चुकंदर, धनिया, तोरी जैसी 35 से अधिक किस्मों की सब्जियां उगाई जाती हैं. इसके अलावा, वे गन्ना और विभिन्न प्रकार के फल भी उगाते हैं. उनकी सभी सब्जियां पूरी तरह ऑर्गेनिक होती हैं, जो न केवल स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं.
रणधीर सिंह की मेहनत और लगन ने उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. उन्होंने अपनी किचन गार्डनिंग के माध्यम से अब तक 16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है. उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं. रणधीर सिंह ने 500 ग्राम और 700 ग्राम वजन का लहसुन उगाने का रिकॉर्ड बनाया है, सबसे बड़ा करेला और शलजम: 2-2 बार रिकॉर्ड उगाकर भी रिकॉर्ड बनाया है. इसके आलावा सबसे भारी अरबी 3 किलो 250 ग्राम, सतावर और रतालू में भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड बनाया है. ये उपलब्धियां ऑर्गेनिक खेती के जरिये हासिल की हैं.
रणधीर सिंह 1992 से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं, जिसके चलते 2001 में उन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वे भारत के पहले ऐसे किसान हैं, जिन्हें ऑर्गेनिक खेती के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला. इसके अलावा, उन्हें सैकड़ो बार किसान मेलों में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं. हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार ने भी उन्हें "कृषि रत्न" और "राय बहादुर" जैसे बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया है.
रणधीर सिंह अपने किचन गार्डन में तैयार बीजों को अन्य किसानों को मुफ्त में वितरित करते हैं, ताकि वे भी स्वस्थ खेती की ओर कदम बढ़ा सकें. वे किसानों को रसायन मुक्त खेती के फायदे बताते हैं और जैविक खाद जैसे जीवामृत और गोमूत्र आधारित उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं. उनका मानना है कि रासायनिक खेती के कारण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को गंभीर नुकसान हो रहा है. इसलिए वे स्वस्थ जीवनशैली के लिए ऑर्गेनिक खेती को अपनाने की सलाह देते हैं.
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