
लहसुन एक ऐसी नकदी फसल है जिसकी मांग पूरे साल रहती है. इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है और किसान अपनी सुविधा से बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. खाने के साथ-साथ आयुर्वेद, मसाले, घरेलू इलाज, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में भी लहसुन की भारी मांग है. यही कारण है कि रबी सीजन में लहसुन की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा बन रही है.

यमुना सफेद-3 एक लोकप्रिय और भरोसेमंद किस्म है. इसके बल्ब बड़े, सफेद और मजबूत होते हैं. एक बल्ब में लगभग 15–16 कलियां होती हैं, जिससे बाजार में इसकी अच्छी पहचान बनती है और किसानों को बेहतर कीमत मिलती है. यह किस्म 120-140 दिनों में तैयार हो जाती है. किसान 175–200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज ले सकते हैं. मध्य प्रदेश, यूपी, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों के लिए उपयुक्त है.

एग्रीफाउंड पार्वती किस्म गुलाबी रंग की होती है और इसके बल्ब आकर्षक दिखते हैं. हर बल्ब में 10–16 बड़ी कलियां होती हैं, जो इसे बाजार में खास बनाती हैं. औषधीय और मसाला उद्योग में इसकी अच्छी मांग है. इससे प्रति हेक्टेयर 200–225 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है. यह किस्म ठंडे इलाकों के लिए बेहतर है. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों के लिए उपयुक्त है.

ऊटी लहसुन को प्रीमियम किस्म माना जाता है. इसके कंद आकार में बहुत बड़े होते हैं और छीलने में आसान होते हैं. इसी वजह से होटल, प्रोसेसिंग यूनिट और व्यापारी इसे ज्यादा पसंद करते हैं. इसके कंद देसी लहसुन से लगभग दोगुने बड़े होते हैं. 120–140 दिनों में अच्छी फसल तैयार हो जाती है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में इसकी खेती ज्यादा होती है.

मालवा और राजस्थान क्षेत्र में लहसुन उत्पादन का लगभग 80–90% हिस्सा ऊटी किस्म से आता है. यहां की मिट्टी और मौसम इस किस्म के लिए बहुत अनुकूल है, जिससे किसानों को लगातार अच्छी पैदावार और बढ़िया दाम मिलते हैं.

अगर किसान सही किस्म चुनें तो लहसुन से लाखों की कमाई संभव है.
यमुना सफेद-3 से 175–200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है.
अगर बाजार भाव ₹3800 प्रति क्विंटल भी रहे, तो कमाई लगभग ₹6.8 लाख प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है.
एग्रीफाउंड पार्वती और ऊटी जैसी किस्मों से भी किसान ₹2 लाख से ज्यादा की अच्छी आमदनी पा सकते हैं.
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