
भारत आज कृषि के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक सुनिश्चित पहचान बना चुका है. खासकर फल और सब्जी उत्पादन में भारत का नाम दुनिया के शीर्ष 3 देशों में गिना जाता है. यह उपलब्धि सिर्फ बड़े आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे देश की विविध जलवायु, मेहनतकश किसान और बागवानी क्षेत्र का लगातार विस्तार है.

भारत, चीन के बाद, फल और सब्जियों का सबसे बड़ा उत्पादक देशों में शामिल है. कुछ अंतरराष्ट्रीय आकलनों में भारत को दूसरे और कुछ में तीसरे स्थान पर रखा जाता है, लेकिन यह तय है कि भारत इस क्षेत्र में टॉप 3 में बना हुआ है. देश में हर साल करोड़ों टन फल और सब्जियों का उत्पादन किया जाता है, जो घरेलू जरूरतों के साथ-साथ निर्यात में भी अहम भूमिका निभाता है.

भारत कई फसलों में दुनिया में पहले नंबर पर है. केला, आम, पपीता, नींबू, भिंडी और अदरक जैसी फसलों के उत्पादन में भारत का कोई मुकाबला नहीं है. इसके अलावा आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन, फूलगोभी और पत्तेदार सब्जियों के उत्पादन में भी भारत का स्थान शीर्ष देशों में रहता है. यही वजह है कि भारतीय फल और सब्जियां आज कई देशों के बाजारों तक पहुंच रही हैं.

इस बड़ी उत्पादन क्षमता के पीछे भारत की भौगोलिक और जलवायु विविधता सबसे बड़ा कारण है. देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग मौसम और मिट्टी पाई जाती है, जिससे सालभर किसी न किसी क्षेत्र में फल और सब्जियों की खेती संभव हो पाती है. उत्तर भारत, पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत और तटीय राज्यों की जलवायु बागवानी के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है.

फल और सब्जी उत्पादन में छोटे और सीमांत किसानों की भूमिका सबसे अहम है. देश की बड़ी आबादी ऐसी है जो कम जमीन पर सब्जी और बागवानी फसलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रही है. इन फसलों से किसानों को कम समय में नकद पैसा मिलता है, इसलिए बीते कुछ वर्षों में अनाज की खेती से हटकर बागवानी की ओर रुझान तेजी से बढ़ा है.

सरकार ने भी इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. राष्ट्रीय बागवानी मिशन, सूक्ष्म सिंचाई योजनाएं, कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग और मूल्य संवर्धन से जुड़ी योजनाओं ने उत्पादन बढ़ाने में मदद की है. इसके बावजूद पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान, भंडारण की कमी और मार्केट तक सही पहुंच जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं.

भारत का दुनिया के शीर्ष 3 फल और सब्जी उत्पादक देशों में शामिल होना किसानों की मेहनत और देश की कृषि क्षमता का प्रमाण है. अगर भंडारण, प्रोसेसिंग और निर्यात ढांचे को और मजबूत किया जाए, तो यह क्षेत्र किसानों की आय बढ़ाने में और भी बड़ी भूमिका निभा सकता है.
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