प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं उत्थान महाभियान यानी ''पीएम कुसुम'' के तहत किसानों को Irrigation Facility के लिए सोलर पंप दिए जाने हैं. इस योजना की समय सीमा 2026 निर्धारित की गई है. इस समय सीमा में जितने किसानों को सोलर पंप दिए जाने हैं, अभी उसका महज 30 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल हो पाया है. पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत शोध संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने पीएम कुसुम योजना के अब तक के परिणामों को लेकर एक अध्ययन रिपोर्ट जारी की है. सीएसई की रिपोर्ट में पीएम कुसुम योजना को पर्यावरण और खेती किसानी के लिहाज से बेहतर बताया गया है. साथ ही इसे लागू करने में हो रही कमियों का भी जिक्र किया है. रिपोर्ट के अनुसार इस योजना में अब तक पूरे देश में 12 लाख से ज्यादा Solar Pump किसानों को देने का अनुमोदन किया जा चुका है. मगर इनमें से महज 4 लाख सोलर पंप ही किसानों के खेत पर लगे हैं.
सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़ों से भी सीएसई की रिपोर्ट में पेश किए गए तथ्यों की पुष्टि होती है. इस समय चल रहे संसद के मानसून सत्र में पीएम-कुसुम योजना को लेकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने लोकसभा में अहम जानकारी दी है.
ये भी पढ़ें, Crop Insurance : छत्तीसगढ़ में किसान अब 16 अगस्त तक करा सकेंगे अपनी फसलों का बीमा
इससे इतर सीएसई द्वारा किसानों के दृष्टिकोण से पीएम कुसुम योजना के जमीनी कार्यान्वयन पर डेटा और जानकारी एकत्र की गई. 'पीएम कुसुम योजना के कार्यान्वयन की चुनौतियां' शीर्षक वाली रिपोर्ट में पीएम कुसुम योजना को लागू करने में राज्यों का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया गया है.
सीएसई के औद्योगिक प्रदूषण और नवीकरणीय ऊर्जा के कार्यक्रम निदेशक निवित कुमार यादव की अगुवाई में तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार पीएम कुसुम योजना में राज्य सरकारों ने अब तक 12 लाख 94 हजार 787 सोलर पंप लगाने का अनुमोदन किया है. इनमें से 4 लाख 2 हजार 792 सोलर पंप ही किसानों के खेत पर लग सके हैं. यह कुल लक्ष्य का महज 30 फीसदी ही है.
रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए सौर ऊर्जा को खेती में शामिल करना जरूरी हो गया है. इसके लिए लंबे समय तक काम में आने वाली तकनीक पर निवेश करना और भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में, पीएम-कुसुम जैसी योजनाएं भारत के Climate Action Plan को आगे बढ़ा सकती हैं.
यादव ने कहा कि इस रिपोर्ट के माध्यम से पीएम कुसुम योजना को लागू करने के बारे में राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी को भी उजागर किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के तहत हर राज्य की सरकार किसानों को अनुदान पर दिए जाने वाले सोलर पंप की संख्या का सालाना अनुमोदन करती है.
इसके तहत 2019 से लेकर अब तक अनुमोदित सोलर पंप को खेत पर लगाने के मामले में हरियाणा सबसे आगे है. रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा सरकार ने अब तक 2 लाख 52 हजार 655 सोलर पंप अनुमोदित किए हैं. इनमें से 1 लाख 19 हजार 792 पंप किसानों के खत में लगा दिए गए हैं.
वहीं, सोलर पंप अनुमोदित करने में महाराष्ट्र सरकार सबसे आगे है. महाराष्ट्र सरकार ने अब तक 4 लाख 5 हजार किसानों को सोलर पंप अनुमोदित कर दिए हैं. इनमें से 1 लाख 01 हजार 819 पंप खेत पर लगा दिए गए हैं. सोलर पंप अनुमोदन करने के मामले में राजस्थान दूसरे स्थान पर है. राजस्थान सरकार ने 2 लाख 48 हजार 720 सोलर पंप अनुमोदित तो कर दिए हैं, मगर अब तक सिर्फ 75 हजार 56 पंप ही किसानों के खेत पर लगे हैं.
किसानों के खेत पर Solar Pump Installation के मामले में यूपी का रिपोर्ट कार्ड अन्य राज्यों से बेहतर है. हरियाणा और यूपी ही ऐसे राज्य हैं, जहां अनुमोदित सोलर पंप के एवज में 50 फीसदी से ज्यादा पंप किसानों के खेत पर लगा दिए गए हैं. यूपी में सरकार द्वारा 1 लाख 14 हजार 790 सोलर पंप का अनुमोदन किए जाने के बाद अब तक 54 हजार 943 पंप खेत पर दिए गए हैं.
ये भी पढ़ें, Agroforestry से बढ़ेगी बुंदेलखंड के किसानों की आमदनी, 12 किसानों से हुई शुरुआत
रिपोर्ट के अनुसार कुछ राज्यों में पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप को लेकर राज्य सरकार पूरी तरह से उदासीन बनी हुई हैं. इनमें आश्चर्यजनक तरीके से बिहार के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बिहार सरकार ने पिछले 6 साल में किसी भी किसान को सोलर पंप देने का अनुमोदन नहीं किया है. नतीजतन, पीएम कुसुम योजना के तहत बिहार के किसी किसान को कोई सोलर पंप नहीं मिला है.
हालांकि, बिहार में इस योजना के तहत किसानों को बिजली या डीजल पंप की जगह सोलर पंप लगाने और 14 एकड़ से ज्यादा बंजर भूमि पर सोलर पार्क बनाने के लिए 1.60 लाख परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं. मगर, इससे भी ज्यादा हैरत की बात ये है कि इनमें से एक भी परियोजना को जमीन पर नहीं उतारा गया है.
गौरतलब है कि पीएम कुसुम योजना में किसानों को तीन श्रेणियों में सौर ऊर्जा से लैस करने का प्रावधान है. पहली श्रेणी बंजर भूमि पर Solar Park लगाने की है. जबकि दूसरी श्रेणी में किसानों को सिंचाई के लिए अनुदान पर सोलर पंप दिए जाते हैं और तीसरी श्रेणी में सोलर पार्क एवं सोलर पंप] दोनों देने का प्रावधान है. बिहार में सिर्फ तीसरी श्रेणी में ही अनुदान को अनुमोदित किया गया है, मगर अनुमोदन के एवज में एक भी Solar Unit स्थापित नहीं हुई है.
केंद्र सरकार ने पीएम कुसुम योजना को तीन श्रेणी में विभाजित किया है. इसकी पहली श्रेणी में कोई किसान अपनी कम से कम 14 एकड़ बंजर भूमि पर 2.5 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की Mini Solar Grid स्थापित कर सकता है. इस श्रेणी में लगने वाली यूनिट की Project Cost लगभग 8 करोड़ रुपये है. इससे किसान प्रतिदिन औसतन 16 हजार 900 यूनिट बिजली सरकार को 3.14 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेच कर प्रतिदिन 53 हजार रुपये (प्रति माह 15 लाख 91 हजार 980 रुपये) कमा सकता है.
ये भी पढ़ें, Waste Management : यूपी सरकार पहले से दोगुना करेगी कचरा प्रबंधन की क्षमता को
दूसरी श्रेणी में किसानों को सिंचाई के लिए डीजल या बिजली पंप की जगह 70 से 80 फीसदी अनुदान पर सोलर पंप दिए जाते हैं. सरकार का दावा है कि सोलर पंप के इस्तेमाल से किसान सिंचाई के लिए डीजल या बिजली पर खर्च होने वाली राशि में सालाना 64 हजार 890 रुपये की बचत कर सकता है. इस योजना के तहत दूसरी श्रेणी में ही किसानों को सौर ऊर्जा से लैस करने के लिए सभी राज्य सरकारें सबसे ज्यादा प्रोत्साहन दे रही हैं.
तीसरी श्रेणी खेती करने वाले उन किसानों के लिए है, जिनके पास कम से कम 14 एकड़ बंजर जमीन भी है. इस श्रेणी में किसान को सिंचाई के लिए अनुदान पर सोलर पंप देने के साथ बंजर जमीन पर 2.5 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का सोलर पार्क भी बनाने में मदद की जाती है. बिहार में तीसरी श्रेणी के तहत ही 1.60 लाख Project Sanction हुए हैं. यह बात दीगर है कि इनमें से कोई भी प्रोजेक्ट अब तक लगाया नहीं गया है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today