सुधीर कुमार सिंह ने संभाला IDA का कमानइंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) की कमान अब सुधीर कुमार सिंह संभालेंगे. इस पद की कमान उन्हें पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. आर.एस. सोढ़ी ने सौंपी. डॉ. आर.एस. सोढ़ी पिछले तीन साल से इस पद पर काबिज थे. वो भारत की सबसे बड़ी कोऑपरेटिव डेयरी कंपनी (AMUL) के मैनेजिंग डायरेक्टर भी रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने कई बड़े आयोजन और फैसले लिए. दरअसल, सुधीर कुमार सिंह ने नई बनी सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमेटी (CEC) के साथ इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के प्रेसिडेंट का पद संभाला है. प्रेसिडेंट का पद सौंपते वक्त डॉ. आर.एस. सोढ़ी ने कहा कि इंडियन डेयरी एसोसिएशन की ओर से हम सुधीर कुमार सिंह और नई CEC टीम को डेयरी सेक्टर को मजबूत करने और आगे बढ़ाने की यात्रा शुरू करने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हैं.
मेधा डेयरी के पूर्व एमडी और झारखंड मिल्क फेडरेशन के अध्यक्ष रहे सुधीर कुमार सिंह को डेयरी के क्षेत्र में 45 सालों का अनुभव है. सुधीर कुमार सिंह राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान करनाल से स्नातक हैं. इससे पहले बिहार में सुधा डेयरी को पहचान दिलाने में सुधीर कुमार सिंह ने अपनी भूमिका निभाई थी. सुबह चार बजे डेयरी बूथों का निरीक्षण करना उनकी आदतों में शुमार था. किसी भी डेयरी बूथ पर ” दूध नहीं है ” का बोर्ड दिखते ही मिल्क बूथ मालिक को शो काज करने की वजह से बिहार में उनकी नई पहचान बनी थी.
1981 में ऑपरेशन फ्लड परियोजना के तहत पटना डेयरी प्रोजेक्ट से अपने करियर की उन्होंने शुरुआत की थी. सुधा डेयरी पटना में पेड़ा, पनीर, रसगुल्ला, आइसक्रीम आदि की लांचिंग का क्रेडिट सुधीर कुमार सिंह को ही जाता है. दही खाओ इनाम जीतो जैसा कार्यक्रम उनके ही दिमाग की उपज थी.
डॉ. रूपिंदर सिंह सोढ़ी कि बात करें तो वे इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के प्रेसिडेंट हैं. यह डेयरी इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स, प्लानर्स, मिल्क प्रोड्यूसर्स, रिसर्च साइंटिस्ट्स और एकेडेमिक्स की एक टॉप बॉडी है, जो 1948 में बनी थी. इसके मेंबर्स कोऑपरेटिव्स, कॉर्पोरेट बॉडीज़, मल्टीनेशनल कंपनियों, प्राइवेट, सरकारी और पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज से हैं. IDA प्लानिंग प्रोसेस में सरकारी बॉडीज़ के साथ एडवोकेसी में हिस्सा लेती है और डेयरी डेवलपमेंट प्रोग्राम्स और स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट्स की पॉलिसीज़ को प्रमोट करती है.
डॉ. सोढ़ी 2010-2023 तक गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (AMUL) के मैनेजिंग डायरेक्टर थे, जो इंडिया का सबसे बड़ा फूड प्रोडक्ट्स ऑर्गनाइजेशन है, डॉ. सोढ़ी के पास इंडियन डेयरी इंडस्ट्री में कोऑपरेटिव सेक्टर को लीड करने और डेवलप करने का 42 साल का अच्छा एक्सपीरियंस है, उन्होंने कई कैपेसिटीज़ में डेयरी फार्मर्स की सेवा की है. AMUL हर दिन 18,600 से ज़्यादा विलेज डेयरी को-ऑपरेटिव सोसायटियों से 28 मिलियन लीटर दूध खरीदता है. मिले दूध को पूरे भारत में 97 डेयरी प्लांट में प्रोसेस किया जाता है.
वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (NIFTEM) के चेयरपर्सन भी हैं. डॉ. सोढ़ी को भारत के सबसे बड़े पोल्ट्री ऑर्गनाइजेशन में से एक IB ग्रुप (ABIS एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर भी अपॉइंट किया गया है. डॉ. सोढ़ी एस्कॉर्ट्स कोबुटा लिमिटेड, नई दिल्ली के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर भी हैं. डॉ. सोढ़ी रिलायंस रिटेल लिमिटेड को अपनी एडवाइजरी सर्विस भी दे रहे हैं. डॉ. सोढ़ी इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (IDF) के बोर्ड मेंबर भी थे.
डॉ. सोढ़ी ने CTAE, उदयपुर, इंडिया से बैचलर (एग्री इंजीनियरिंग) की डिग्री ली है और वे इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद (IRMA) के फर्स्ट-बैच के एल्युम्नस हैं. डॉ. सोढ़ी नेशनल एकेडमी ऑफ़ डेयरी साइंस के चुने हुए फेलो हैं. उन्होंने GADVASU से डॉक्टर ऑफ़ फिलॉसफी (ऑनोरिस कॉसा) और आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, आनंद (गुजरात) से डॉक्टर ऑफ़ साइंस (ऑनोरिस कॉसा) की डिग्री ली है.
तीन दशक से ज़्यादा समय तक, डॉ. सोढ़ी ने व्हाइट रिवॉल्यूशन के जनक, डॉ. वर्गीज कुरियन के सीधे गाइडेंस और मेंटरशिप में काम किया और यह पक्का किया कि डॉ. कुरियन के खास मूल्य, जैसे ईमानदारी, लगन, हिम्मत, ईमानदारी, किसानों और कंज्यूमर्स के प्रति कमिटमेंट, ऑर्गनाइजेशन के कल्चर में गहराई से शामिल रहें.
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