पराली जलाने के मामले में गिरावटहरियाणा में पराली जलाने के मामले में लगातार गिरावट जारी है. इसको लेकर मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा दो साल के भीतर शून्य पराली जलाने वाला राज्य बनने की राह पर है. उन्होंने फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने में हुई उल्लेखनीय प्रगति का हवाला दिया. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई एक उच्च-स्तरीय समीक्षा के बाद रस्तोगी ने बताया कि राज्य में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 77 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. 6 नवंबर तक केवल 171 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 888 मामले दर्ज किए गए थे.
राजेश वर्मा ने धान के अवशेषों को जलाने में कमी लाने में हरियाणा के अधिकारियों और किसानों, खासकर करनाल और कुरुक्षेत्र जिलों के किसानों के संयुक्त प्रयासों की वजह से हुई है. उन्होंने अगले दस दिन महत्वपूर्ण होने पर ज़ोर दिया और जिला प्रशासन को कड़ी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए. वहीं, अनुराग रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा की त्रि-आयामी रणनीति, यथास्थान प्रबंधन, बाह्य उपयोग और चारे के उपयोग ने राज्य के 39.31 लाख एकड़ धान क्षेत्र में अच्छे परिणाम दिए हैं.
इसमें से 44.40 लाख टन अवशेषों का यथास्थान प्रबंधन किया जा रहा है, 19.10 लाख टन बाह्य तरीकों से और 22 लाख टन का उपयोग चारे के रूप में किया जा रहा है. सरकार ने 19,670 एकड़ भूमि को धान की खेती से हटाकर और 1.74 लाख किसानों को चावल की सीधी बुवाई (डीएसआर) अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा दिया है.
वित्तीय प्रोत्साहनों में अवशेष प्रबंधन के लिए 1,200 रुपये प्रति एकड़, फसल विविधीकरण के लिए 8,000 रुपये और प्रत्यक्ष बुवाई (डीएसआर) के लिए 4,500 रुपये प्रति एकड़ शामिल हैं, जिसका कुल खर्च 471 करोड़ रुपये है. वहीं, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की देखरेख में 2 लाख एकड़ भूमि पर फ्री में बायो-डीकंपोजर पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है.
हरियाणा ने धान की पराली के औद्योगिक उपयोग का विस्तार किया है, जिसमें 31 पेलेटीकरण और ब्रिकेटिंग संयंत्र, 111.9 मेगावाट उत्पादन करने वाले 11 बायोमास बिजली संयंत्र, एक 2जी इथेनॉल संयंत्र, दो संपीड़ित बायोगैस संयंत्र और 16.64 लाख टन पराली का उपयोग करने वाले पांच ताप विद्युत संयंत्र शामिल हैं. गैर-एनसीआर जिलों में ईंट भट्टों को 2025 तक 20 प्रतिशत पराली-आधारित पेलेट का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है, जिसे 2028 तक बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया जाएगा.
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