नीलगाय के आतंक से मिलेगी मुक्तिदेशभर में जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं के कारण फसल खराब होने के मामले बेहद आम है. बिहार में भी कुछ ऐसा ही हाल है, क्योंकि जंगली जानवर कई क्षेत्रों में फसल चौपट कर देते हैं. लेकिन इस बीच नवादा में नीलगाय के आतंक से किसानों को हो रहे भारी नुकसान के बाद प्रशासन ने कार्रवाई की है. लगातार खेत में फसल नष्ट होने के कारण जिला प्रशासन ने नीलगाय को शूट करने के आदेश दिए हैं. इसके बाद नीलगाय का शिकार शुरू हो गया है. वहीं, जिले में 26 नीलगाय को गोली मारी गई है.
स्थानीय किसानों के अनुसार, नीलगाय हर साल उनकी फसलों को भारी क्षति पहुंचाती थीं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा था. नीलगाय के आतंक की समस्या को लेकर महुली पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि विपिन सिंह ने पंचायती राज पदाधिकारी को एक आवेदन दिया था. उन्होंने जिलाधिकारी रवि प्रकाश से भी मुलाकात की, जिसके बाद जिलाधिकारी ने मामले का संज्ञान लिया और कार्रवाई के निर्देश दिए.
वन विभाग के मगध क्षेत्र के शूटर मोहम्मद कायम अख्तर को इस काम के लिए बुलाया गया है. उन्होंने महुली पंचायत के कई स्थानों पर नीलगायों का झुंड देखे. इसके बाद लगातार गोलीबारी कर एक-एक करके 26 नीलगाय को मार गिराया गया है. मारे गए जानवरों को मौके पर ही दफना दिया गया है.
नवादा जिला वन अधिकारी (DFO) श्रेष्ठ कुमार कृष्ण ने कहा कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार, पिछले तीन दिनों में महूली पंचायत इलाके में 26 नीलगाय को मारा गया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला मुखिया ने लिया था, जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने सिर्फ सुविधा देने का काम किया. अधिकारी ने बताया कि मुखिया को संरक्षित क्षेत्र के बाहर पेशेवर निशानेबाजों की मदद से नीलगाय और जंगली सूअरों की पहचान करने और उन्हें मारने की अनुमति देने के लिए नोडल अथॉरिटी नियुक्त किया गया है.
उन्होंने कहा कि संबंधित मुखिया अपने इलाके के किसानों से मिली शिकायतों के आधार पर विभाग के अधिकारियों के समन्वय से किराए के निशानेबाजों द्वारा नीलगाय और जंगली सूअर को मारने की अनुमति दे सकता है. उन्होंने बताया कि मुखिया ने 40 नीलगायों को मारने के लिए पहचाना था, जिनमें से 26 को मार दिया गया है. DFO ने कहा कि नीलगाय और जंगली सूअर झुंड में घूमते हैं और कई एकड़ फसलें बर्बाद कर देते हैं. किसान अपनी पक रही फसलों को इन जानवरों से बचाने के लिए पूरी रात जागते हैं. नीलगाय और जंगली सूअर दोनों को तय प्रक्रियाओं के अनुसार मारा जा सकता है.
एक अन्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि 2024-25 में (फरवरी 2025 तक) राज्य के अलग-अलग जिलों में लगभग 4,279 नीलगाय को मारा गया है. नीलगाय को मारने का अभियान अलग-अलग जगहों से मिले अनुरोधों के जवाब में शुरू किया गया है, क्योंकि वे जंगल क्षेत्रों से दूर खेतों में भी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में ज़्यादातर नीलगायों को मारा गया, जिनमें वैशाली (3,057), गोपालगंज (685), समस्तीपुर (256), मुजफ्फरपुर (124), सीतामढ़ी (71), मुंगेर (48), सारण (18), बेगूसराय (14) और नालंदा (6) शामिल हैं. (सुमित भगत की रिपोर्ट)
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