दिन में भी मिलेगी बिजलीगुजरात के किसानों के लिए अच्छी खबर है. दरअसल, गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (GETCO) ने 2026-27 में लगभग पांच सबस्टेशन बनाने का प्लान बनाया है, जो दिन के समय खेती के कामों के लिए बिजली की सप्लाई पक्का करने के मकसद से बनाया जा रहा है. GETCO लगभग 1,100 सर्किट किलोमीटर (CKM) ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत करने वाला है, जिस पर लगभग 1,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 2026-27 में DISCOMs (डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों) के लिए AB (एरियल बंच्ड) केबल और मीडियम वोल्टेज कवर्ड कंडक्टर (MVCC) बिछाने की अनुमानित लागत 375 करोड़ रुपये है.
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार किसानों के लिए योजनाएं चला रही है. इसका एक उदाहरण किसान सूर्योदय योजना (KSY) है, जिसके तहत राज्य के 17,018 गांवों, यानी 98.66 प्रतिशत गांवों को अब दिन के समय बिजली मिल रही है. इस योजना के तहत गुजरात के 19.69 लाख किसानों को दिन के समय बिजली सप्लाई का फायदा मिल रहा है. CM भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसान-हितैषी नीतियों और किसानों के प्रति उनकी संवेदनशीलता के कारण राज्य के लगभग 98 प्रतिशत किसानों को अब दिन में बिजली मिल रही है.
उन्होंने कहा कि जो लोग अभी तक इस योजना में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें भी मार्च 2026 तक दिन में बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी और यह मिशन पूरा हो जाएगा. यह PM मोदी द्वारा लिया गया फैसला था. किसानों को पर्याप्त पानी और बिजली मिलने से राज्य के कृषि क्षेत्र का पूरा परिदृश्य बदल गया है, जिससे किसानों की समृद्धि बढ़ी है.
यह योजना 2020 में किसानों को सुबह 5 बजे से रात 9 बजे के बीच दो स्लॉट में बिजली देने के मकसद से लागू की गई थी. पहला स्लॉट सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दूसरा दोपहर 1 बजे से रात 9 बजे तक था. हालांकि, योजना लागू होने के बाद यह जरूरी पाया गया कि खेती के लिए बिजली सप्लाई के शेड्यूल को दिन की रोशनी के हिसाब से ज़्यादा कुशल बनाया जाए, जिससे सिंगल-शिफ्ट कॉन्सेप्ट शुरू किया गया.
इस कॉन्सेप्ट के तहत, किसानों को खेती के कामों के लिए दिन की रोशनी के घंटों में खासकर सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक बिजली दी जाती है. इस तरह से सोलर एनर्जी को इंटीग्रेट करने से पीक डिमांड के घंटों के दौरान पावर ग्रिड पर लोड कम होता है, जिससे खेती के लिए ज्यादा टिकाऊ और भरोसेमंद बिजली सप्लाई पक्की होती है.
अभी कुल 17,018 गांवों, यानी राज्य के 98.66 प्रतिशत गांवों को दिन के समय बिजली दी जा रही है. राज्य के 98 प्रतिशत सबस्टेशन को दिन के ऑपरेशन में शिफ्ट कर दिया गया है. इस योजना के तहत बाकी बचे 231 गांवों को कवर करने के लिए बाकी बचे 45 रोटेशनल सबस्टेशन को शिफ्ट करने का काम अभी चल रहा है. इस पहल के तहत राज्य सरकार ने 40 नए सबस्टेशन बनाने, 4,640.73 CKM ट्रांसमिशन लाइन बिछाने, और 3,927.72 CKM MVCC कामों के ज़रिए डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत करने पर कुल 5,353.62 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इस योजना के लागू होने से किसानों को दिन में बिजली मिल रही है, जिससे वे सही समय पर सिंचाई कर पा रहे हैं और फसल की पैदावार बढ़ रही है, इससे किसानों की आर्थिक समृद्धि को योगदान मिल रहा है.
साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के कांकरोल गांव के किसान जयेश पटेल, जो हिम्मतनगर APMC के चेयरमैन भी हैं. उन्होंने कहा कि पहले किसानों को रात में बिजली मिलती थी, जिससे खेतों की सिंचाई करना मुश्किल होता था और पानी की बहुत ज्यादा बर्बादी होती थी, साथ ही जंगली जानवरों का भी लगातार डर बना रहता था. हालांकि, इस योजना के तहत हमें पिछले दो सालों से दिन में बिजली मिल रही है, जिससे ये सभी समस्याएं हल हो गई हैं. उन्होंने कहा कि अब किसान सही समय पर और सही मात्रा में अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं, जिससे समय की बचत होती है. (PTI)
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