पंजाब के संगरूर में पराली को आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. प्रशासनिक अधिकारी खेतों में जाकर आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन खेतों में किसान उनका घेराव कर लेते हैं. किसान अधिकारियों से अपनी मजबूरी बताते नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि हमारे पास पराली निपटान के लिए संसाधन नहीं है और सरकार इसका इंतजाम नहीं कर रही है. वहीं संगरूर के डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने पराली को आग लगाने की घटनाओं में बढ़ोतरी को देखते हुए अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. इस मामले में नंबरदारों को सस्पेंड कर दिया गया है और किसानों के जमीन के कागजातों पर रेड एंट्री कर उन पर भी मामले दर्ज किया जा रहे हैं.
पंजाब में धान की फसल काटने के बाद लगातार पराली को आग लगाने के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. पराली में आग लगाने की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती नजर आ रही हैं. संगरूर प्रशासन इस घटना को रोकने में नाकाम होता दिखाई दे रहा है. संगरूर के एडीसी गांव में पराली को लगी आग बुझाने पहुंचे तो किसानों ने उनका घेराव कर लिया. इसमें किसानों का अपना तर्क है कि उन्हें जल्द गेहूं की बुवाई करनी है, लेकिन पराली का उनके पास कोई पक्का विकल्प नहीं है.
किसान कहते हैं कि उन्हें बेलर मशीन नहीं मिल रही है और छोटे किसान के पास न तो बड़ा ट्रैक्टर है जो पराली को मिट्टी में मिला दे और न ही कोई सरकारी मदद उनके पास पहुंच रही है. संगरूर में पराली की घटनाएं 350 के ऊपर पहुंच चुकी हैं. डिप्टी कमिश्नर संगरूर ने नोडल अफसर तैनात किए हैं. तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की है और 8 नंबरदारों को सस्पेंड कर दिया गया है. इतना ही नहीं, 51 के करीब उन अधिकारियों को नोटिस जारी किया है जिनके इलाके में पराली को आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा 80 के करीब किसानों पर मामले दर्ज किए गए हैं और उनके जमीन के कागजातों पर रेड एंट्री की गई है.
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संगरूर के नजदीक गांव घरच्चों में पराली की आग को बुझाने पहुंचे एडीसी अमित देव और पुलिस अधिकारियों को भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहां) के कार्यकर्ताओं ने घेराव किया. किसान नेता मनजीत सिंह ने बताया कि उनके पास पराली के बचे हुए भूसे को आग लगाने के अलावा और कोई उपाय नहीं है क्योंकि उन्हें जल्दी गेहूं की बुवाई करनी है. अगर पराली को मिट्टी में लाते हैं तो उसमें सुंडी लग जाती है. मनजीत सिंह कहते हैं कि पहले भी ऐसा हो चुका है और हमें गेहूं की बर्बाद हुई फसल का कोई मुआवजा नहीं मिला.
दूसरी ओर, एडीसी ने बताया कि किसानों ने उनका रास्ता रोका हुआ है. उन्होंने किसानों को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर हैं कि पराली को आग ना लगाएं, लेकिन किसान नहीं मान रहे. एडीसी ने बताया कि उन्होंने किसानों को संसाधन भी मुहैया करवाए हैं. ज्यादातर किसान अपने खेतों में गेहूं की बुवाई कर रहे हैं. पराली के बेल बना रहे हैं. ऐसे में किसानों के हाथ में है कि वे पराली में आग लगाते हैं या फिर निपटान करते हुए उसका उचित प्रबंधन करते हैं.
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दूसरी ओर, फिरोजपुर में पराली जलाने के अभी तक 497 मामले सामने आए हैं. इस पर कार्रवाई करते हुए 297 एफआईआर दर्ज की गई है और 232 किसानों की जमीन पर रेड एंट्री की गई है. सोमवार को फिरोजपुर फाजिल्का हाईवे से सटे खेतों में किसानों ने पराली को आग लगाई जिससे हाईवे पर धुआं ही धुआं हो गया. इससे हाईवे का ट्रैफिक पूरी तरह से जाम हो गया. जब लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि सड़क पर धुआं होने के कारण आगे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. इससे उन्हें रुकना पड़ा. लोगों ने किसानों से अपील की है कि पराली को आग न लगाएं क्योंकि इससे पर्यावरण के साथ साथ लोगों की सेहत पर गंभीर असर होता है.(कुलवीर सिंह की रिपोर्ट)
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