सोयाबीन की खेती देश में बड़े पैमाने पर की जाती है.देश में रबी सीजन अलग-अलग हिस्सों में सोयाबीन की खेती की जाती है. इससे किसानों को अच्छी कमाई भी होती है. इसलिए किसान अधिक से अधिक इसकी खेती करते हैं. इसकी खेती में किसान अपने-अपने क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से बीज के किस्मों का चयन करते हैं और खेती करते हैं. कुछ साल पहले तक देश के सोयाबीन किसान वर्षा की कमी और सोयाबीन में लगने वाले प्रमुख कीट के कारण काफी परेशान होते थे. क्योंकि इनके कारण सोयाबीन की उपज प्रभावित होती थी. इतना ही नहीं इससे किसानों की कमाई भी प्रभावित होती थी.
किसानों की इस समस्या को देखते हुए देश के कृषि वैज्ञानिक लगातार कार्य कर रहे थे. अब उन्होंने एक ऐसी सोयाबीन की किस्म विकसित की है जो प्रतिकूल मौसम परिस्थिति में भी अच्छा उत्तापदन देती है. इंदौर कृषि विकास केंद्र के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की एक नई किस्म विकसित की है. जिसका नाम सोयाबीन वेरायटी एनआरसी 152 है. इस किस्म की खासियत यह है कि कम वर्षा के कारण भी इसकी पैदावार प्रभावित नहीं होती है. इस उन्नत किस्म की खासियत यह है कि यह किस्म बेहद कम समय में तैयार भी हो जाती है. यह सोयाबीन बुवाई के 90 दिनों के अंदर कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
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सोयाबीन वेरायटी एनआरसी 152 किस्म के सोयाबीन को खास तौर पर गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उतार प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के लिए तैयार किया गया है. यह बहुत जल्दी तैयार होने वाली किस्म है इसलिए किसान इसकी खेती करना खूब पसंद करते हैं. सोयाबीन की यह किस्म से इसकी प्राकृतिक लाइपोक्सीजिनेज एसिड 2 की गंध नहीं आती है. प्रति हेक्टेयर उपज की बात करें तो सोयाबीन की इस उन्नत किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 38 क्विंटल तक का उत्पादन हासिल कर सकते हैं. इस नई किस्म के बीज आने के बाद देश में सोयाबीन के उत्पादन में और तेजी आ सकती है.
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उल्लेखनीय है कि देश में लगभग 120 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होता है. इनमें सबसे अधिक उत्पादन मध्य-प्रदेश और महाराष्ट्र में किया जाता है. हालांकि सोयाबीन उत्पादन के मामले में मध्यप्रदेश देश में पहला स्थान रखता है. पिछले साल सोयाबीन का उत्पादन देश में प्रभावित हुआ था क्योंकि कीट के कारण सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई थी. पर इस साल मध्य प्रदेश में 52 लाख टन और महाराष्ट्र में 48 लाख टन तक का उत्पादन प्राप्त हुआ है.
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