बिहार में कोहरे और ठंड की वजह से आलू, मसूर और सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. कहा जा रहा है कि इससे इन फसलों के उत्पादन में गिरावट भी आ सकती है. हालांकि, दूसरी ओर गेहूं की फसल के लिए यह सर्दी फायदेमंद साबित हो सकती है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक ठंड और शीतलहर गेहूं के लिए लाभदायक होता है. ऐसे में इस साल गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद की जा रही है.
डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, केवीके रोहतास के वैज्ञानिक रतन कुमार का कहना है कि पिछले महीने खराब मौसम से रोहतास जिले में आलू की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है. अनुमान है कि आलू की फसल 20 से 25 फीसदी और सरसों की फसल 10 फीसदी से ज्यादा खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि बुवाई में देरी का सामना कर रहे किसान लंबे समय तक ठंड और कोहरे के कारण अधिक नुकसान की शिकायत करते हैं.
इसी तरह औरंगाबाद जिले के केवीके के वैज्ञानिक अनुप कुमार चौबे ने बताया कि ठंड और कोहरे से आलू, सरसों और मसूर की फसल को नुकसान हुआ है. देर से बोई गई आलू की फसल को 25 से 40 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है. जबकि जल्दी बोई गई आलू की फसल को 15 प्रतिशत नुकसान हुआ है. सरसों की फसल को भी 10 से 15 फीसदी तक नुकसान हुआ है.
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वैज्ञानिक ने कहा कि किसानों के सामने चुनौती यह है कि वे दिसंबर तक धान की कटाई करते हैं और फिर दिसंबर के मध्य या जनवरी की शुरुआत में सरसों और आलू सहित रबी फसलों की बुआई शुरू करते हैं, जिससे उन्हें गंभीर ठंड की स्थिति का सामना करना पड़ता है. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश के जिलों के प्रारंभिक आकलन से संकेत मिलता है कि भीषण ठंड और कोहरे ने आलू और सरसों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. उसके बाद मसूर की फसल को क्षति पहुंची है. हालांकि, गेहूं की फसल को कोई खास नुकसान होने की खबर नहीं है.
ठंड और कोहरे ने गोपालगंज, सारण, रोहतास, सीवान, कैमूर, बक्सर और भोजपुर जिले में रबी फसलों को अधिक प्रभावित किया है. कृषि विभाग ने सभी जिला कृषि अधिकारियों को लंबे समय तक कड़ाके की ठंड के कारण रबी फसलों को हुए नुकसान और उत्पादन पर इसके संभावित प्रभाव पर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. चौबे ने कहा कि आलू उगाने वाले किसान झुलसा रोग से जूझ रहे हैं. वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जनवरी की शुरुआत से महीने के अंत तक ठंड की स्थिति और कोहरे की चेतावनी जारी की थी. आईएमडी ने पिछले महीने कई जिलों के लिए शीत दिवस और शीतलहर की चेतावनी जारी की थी.
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आईएमडी के अनुसार, शीतलहर तब होती है, जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है. या जब यह 10 डिग्री सेल्सियस से कम और सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस-6.4 डिग्री सेल्सियस नीचे होता है. इस बीच, जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है और अधिकतम तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस या अधिक नीचे चला जाता है तो ठंडा दिन घोषित किया जाता है.
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