शहद निर्यात का हब बनेगा पूर्वी भारत, टेस्टिंग लैब खुलने से किसानों को होगा फायदा

शहद निर्यात का हब बनेगा पूर्वी भारत, टेस्टिंग लैब खुलने से किसानों को होगा फायदा

रांची के नामकुम में टेस्टिंग लैब बन जाने से झारखंड समेत आसपास के राज्यों किसानों को फायदा होगा. यहां पर किसानों को अपनी शहद की गुणवत्ता का प्रमाण पत्र मिल जाएगा. उनके शहद के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुद्धता का प्रमाण पत्र मिल जाएगा. इससे उनके लिए गल्फ देशों में शहद निर्यात का रास्ता खुल जाएगा. इस लैब के जरिए ही किसानों को शहद उत्पादन से जुड़ा तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

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शहद निर्यात का हब बनेगा पूर्वी भारत, टेस्टिंग लैब खुलने से किसानों को होगा फायदारांची में खुलेगा हनी टेस्टिंग लैब (सांकेतिक तस्वीर)

पूर्वी भारत शहद उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में बड़ा हब बनेगा. इसका फायदा यहां के किसानों को होगा. किसानों की कमाई बढ़ेगी. क्योकि झारखंड की राजधानी रांची  में पूर्वी भारत का पहला आधुनिक मधु टेस्टिग लैब के निर्माण की आधारशिला रखी गई. इस लैब के शुरू हो जाने से झारखंड के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मधु उत्पादक किसानों को फायदा होगा. क्योंकि यहां से किसानों को अपने शहद की गुणवत्ता का प्रमाण पत्र मिल जाएगा जो अंतराष्ट्रीय मानकों पर होगा. यहां से शुद्धता प्रमाण पत्र मिलने के बाद किसान अपने शहद को यहां से गल्फ देशों में आसानी से निर्यात कर सकेंगे.

रांची के नामकुम स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्वी प्रक्षेत्र के नामकुम स्थित राष्ट्रीय कृषि उच्चर प्रसंस्करण संस्थान में यह आधुनिक मधु टेस्टिंग लैब बनेगा. इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत ने शहद उत्पादन के क्षेत्र  में पिछले 10 वर्षों में काफी प्रगति की है, पर पूर्वी क्षेत्र थोड़ा पिछड़ा हुआ था. पर अब मधु उत्पादन करने वाले किसानों को यहां से शुद्धता की जांच हो जाएगी और उन्हें यहां पर शहद की गुणवत्ता संवर्धन से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग तक के प्रशिक्षण मिलेगा. इसका उन्हें फायदा होगा. 

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हनी वेनम निकालने का दिया जाएगा प्रशिक्षण

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि 2014 में देश में  में 70 हजार मीट्रिक टन मधु का उत्पादन होता था. वहीं अब यह बढ़कर 01 लाख 42 हजार मीट्रिक टन हो गया है. 2014 से पहले देश से मधु निर्यात सिर्फ 28 हजार मीट्रिक टन का था जो अब बढ़कर 79 हजार मीट्रिक टन हो गया है.इसमें और तेजी आएगी, क्योंकि अब पूर्वी क्षेत्र में भी मीठी क्रांति की शुरुआत हो रही है और यहां के किसानों को इसका लाभ मिलने वाला है. बेहतर प्रशिक्षण और बाजार मिलने के बाद शहद उत्पादन के लिए अधिक से अधिक लोग प्रोत्साहित होंगे. रोजगार के नए अवसर मिलेंगे. अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस प्रशिक्षण केंद्र में किसानों को मधुमक्खी का जहर निकालने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा, इससे भी किसानों की आय़ बढ़ेगी.

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किसानों को होगा फायदा

रांची के इटकी प्रखंड के शहद उत्पादक किसान इरियस एक्का ने किसान तक से बात करते हुए कहा कि जिले में मधु टेस्टिंग लैब के खुल जाने से उनकी राह आसान हो गई है. उन्होंने कहा कि यहां के किसानो की सबसे बड़ी समस्या बाजार की होती है. क्योंकि वो उत्पादन तो करते हैं पर बेहतर बाजार और अच्छा दाम नहीं मिल पाता है. पर अब किसानों को बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा, शहद की गुणवत्ता की जांच होगा और निर्यात के मौके मिलेंगे.उन्होंने कहा कि वो अब शहद पालन के अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाएंगे और संस्थान में जाकर बेहतर ट्रेनिंग लेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई की शहद के बेहतर दाम मिलने से  अब उनकी कमाई और बढ़ेगी. 

 

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