scorecardresearch
इस वजह से आम के पौधों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व, सुधार के लिए कृषि वैज्ञानिक ने दी ये सलाह

इस वजह से आम के पौधों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व, सुधार के लिए कृषि वैज्ञानिक ने दी ये सलाह

डॉक्टर हरिशंकर सिंह ने बताया कि हम कीट मारने की सोचते हैं, लेकिन यह नहीं सोचते हैं कि पौधे को कैसे मजबूत किया जाए. आम की जड़ में न्यूट्रिएंट पहुंचाना मुश्किल हो गया है. आम के पौधों को पोषक तत्व नहीं मिल रहे हैं, जिससे बीमारियों को दूर करने की क्षमता प्रभावित हो रही है.

advertisement
आम का मास्टर प्लान कार्यक्रम में बोलते कृषि वैज्ञानिक. आम का मास्टर प्लान कार्यक्रम में बोलते कृषि वैज्ञानिक.

इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक ने सोमवार को लखनऊ में आम सभा का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में आम उत्पादन से जुड़े कई किसान, व्यापारी, कृषि वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी और यूपी के कृषि विश्वविद्यालयों के कई पदाधिकारी मौजूद रहे. इन सभी विशेषज्ञों ने आम की खेती- किसानी के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसी कड़ी में प्रोग्राम के पांचवें सेशन में तीन एक्सपर्ट ने आम के बारे में अपनी राय रखी. इस सेशन का नाम था 'आम का मास्टर प्लान'. प्रोग्राम में CISH के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर हरिशंकर सिंह ने कहा कि जनसंख्या दबाव के चलते जंगल और झुरमुट खत्म हो गए तो हमारे मित्र कीट भी खत्म हो गए हैं. इससे फसल के कीटों को खत्म करने में दिक्कत बढ़ रही है. 

डॉक्टर हरिशंकर सिंह ने बताया कि हम कीट मारने की सोचते हैं, लेकिन यह नहीं सोचते हैं कि पौधे को कैसे मजबूत किया जाए. आम की जड़ में न्यूट्रिएंट पहुंचाना मुश्किल हो गया है. आम के पौधों को पोषक तत्व नहीं मिल रहे हैं, जिससे बीमारियों को दूर करने की क्षमता प्रभावित हो रही है.

ये भी पढ़ें- Kisan Tak Aam Sabha: नई तकनीक रोकेगी आम के पेड़ों की बर्बादी, पैदावार बढ़ाने में भी मिलेगी मदद

वहीं, CISH के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर हरिशंकर सिंह ने कहा कि आम की बेहतर उपज के लिए जरूरी बिंदुओं पर किसानों को ध्यान देना चाहिए.

  • मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारना जरूरी है.
  •  कंटाई-छटाई.
  • सही स्प्रे मशीन से छिड़काव.
  • बहुत ज्यादा कीटनाशक की जरूरत आम में नहीं होती है. 
  • कीट और बीमारी को पहचानने की जरूरत किसान को है.

फलों को थैली में बांध दें

इसी तरह CISH के वैज्ञानिक डॉक्टर प्रभात शुक्ला ने कहा कि कीट के नियंत्रण के लिए  एक छिड़काव जरूरी है.फर्रा रोग पर किसान छिड़काव करें, क्योंकि यह 15 दिन तक लागू रहता है.साथ ही हमें क्रिटिकल स्टेज पर ध्यान देना है.उन्होंने कहा कि वास्तव में जो रोग है, क्या वह क्षति बढ़ा सकता है और स्प्रे के लिए मौसम पर ध्यान देना जरूरी है.फ्रूट सेट होने के समय हॉपर कीट को कंट्रोल करने के लिए एक स्प्रे बहुत है.उनकी माने तो जैसे ही आम का फल 50 ग्राम का हो जाए, किसान उसे थैला में बंद कर दें. इससे कीटों से बचाव हो सकेगा और क्वालिटी बेहतर की जा सकेगी.

किसान ने बताई कमाई की बारीकी

प्रगति शील किसान उपेंद्र सिंह ने कहा कि CISH छोटे किसानों को मजबूती देने का काम कर रही है.हम 2016 से CISH से जुड़े हैं. हमने इसकी मदद से इंटरक्रॉपिंग, मिनिमम पेस्टीसाइड, बैगिंग के तरीके सीखे हैं.इससे आम की कीमत 4 गुना ज्यादा मिला.उन्होंने कहा कि हमने 18-20 रुपये के आम को 150 रुपये किलो में बेचा.उनकी माने तो जब तक कंटाई छंटाई के लिए यंत्र नहीं मिलेंगे, तब तक छंटाई समय पर नहीं हो सकेगी, जो उपज पर असर डाल रही है. किसान ने कहा कि 20 रुपये में एक्सपोर्ट क्वालिटी का आम कैसे पैदा किया जा सकता है. अब 50 रुपये आम की कीमत एक्सपोर्ट के लिए दी जाने की बात कही गई है. हम 100 रुपये एक्सपोर्ट आम की कीमत चाहते हैं. अगर ये हो जाए तो किसान की किस्मत बदल जाएगी.किसान के आम का पेमेंट नहीं मिलने तक लदान नहीं किए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए.

ये भी पढ़ें- सोलर पंप खरीदने से पहले जान लें कितना मिलेगा सरकारी डिस्काउंट, 7 स्टेप्स में आवेदन का प्रोसेस भी जानें

जलवायु परिवर्तन का आम पर असर

CISH के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर हरिशंकर सिंह ने कहा अभी जलवायु परिवर्तन की झलक हम देख रहे हैं. अलनीनो की वजह से अनियमित मौसम फसल को नुकसान पहुंचा रहा है. वहीं, CISH के वैज्ञानिक डॉक्टर प्रभात शुक्ला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है.हर रोज हजारों गाड़ियां और फैक्ट्री पॉल्यूशन बढ़ा रही हैं, जिससे आम की फसल पर असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पहले वॉटर लेवल ऊपर था अब घट रहा है.बारिश भी लगातार घट रही है.उन्होंने कहा कि मौसम परिवर्तन से आम का बौर जनवरी और मार्च में निकल रही है, जबकि कभी दिसंबर में निकलती थी.उन्होंने कहा कि हर साल देश में लॉकडाउन लगा दिया जाए तो पॉल्यूशन ठीक हो जाएगा.

किसान तक की आमसभा के अंत में CISH के डायरेक्टर डॉक्टर दामोदरन ठुक्करम ने प्रगतिशील किसानों को सर्टिफिकेट प्रदान किए. कार्यक्रम का संचालन किसान तक की आरती सिंह ने किया है.