एमपी और छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों हुए चुनाव में कांग्रेस को उम्मीद से उलट बेहद निराशाजनक परिणाम देखने को मिले. सत्ता मिलने के अति आत्मविश्वास के साथ चुनाव लड़ रही कांग्रेस को एमपी की 230 में से महज 66 सीटें मिलीं, वहीं छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में पार्टी 35 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस हाईकमान ने चुनाव परिणाम की समीक्षा के दौरान एमपी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेताओं द्वारा हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने की दलीलों को नकारते हुए नेतृत्व परिवर्तन करने का फैसला किया है. वहीं छत्तीसगढ़ में पीसीसी अध्यक्ष के तौर पर दीपक बैज को बरकरार गया रखा है. कांग्रेस आलाकमान जल्द ही राजस्थान को लेकर भी बड़े बदलाव कर सकता है.
कांग्रेस ने एमपी में पार्टी की कमान कमलनाथ से वापस लेकर किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे जमीनी नेता जीतू पटवारी को PCC Chief बनाया है. मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर हुई गोलीबारी का मामला पुरजोर तरीके से उठाने के बाद चर्चा में आए जीतू पटवारी गांव, किसान और गरीबों के मुद्दों काे गर्मजोशी से उठाते हैं. उनकी छवि जमीनी राजनीति करने वाले तेजतर्रार युवा नेता की है.
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कांग्रेस ने चुनाव परिणाम से सबक लेकर अब भाजपा की तर्ज पर जाति और वर्ग के समीकरणों को भी साधने की कोशिश की है. इसी का नतीजा है कि पार्टी ने नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक दल के नेता और उपनेता के पद पर भी इन समीकरणों का ध्यान रखा है्. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से जारी निर्देश का अनुपालन करते हुए पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के अनुसार पार्टी ने एमपी विधान सभा में उमंग सिंघार को कांग्रेस विधायक दल का नेता एवं हेमंत कटारे को उप नेता मनोनीत किया है. कमलनाथ सरकार में वन मंत्री रहे सिंघार एमपी के मुखर आदिवासी नेता हैं और गंधवानी सीट पर चौथी बार विधायक बने हैं. वहीं सवर्ण समाज से ताल्लुक रखने वाले कटारे चंबल संभाग में भिंड जिले की अटेर सीट से विधायक चुने गए हैं.
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में यद्यपि पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान मौजूदा अध्यक्ष दीपक बैज के ही हाथों में रखी है, लेकिन विधानसभा में विधायक दल के नेता के रूप में पूर्व स्पीकर डॉ चरणदास महंत को मनोनीत किया है. डॉ महंत छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ किसान नेता हैं. राज्य की सक्ति विधानसभा सीट का लंबे समय से प्रतिनिधित्व कर रहे डॉ महंत किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया रहे हैं.
वेणुगोपाल द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि बैज, पीसीसी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे. स्पष्ट है कि कांग्रेस ने एमपी में ही नेतृत्व परिवर्तन कर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को किसी तरह की गुटबाजी में न पड़ने का साफ संकेत दिया है.
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एमपी और छत्तीसगढ़ के बारे में कांग्रेस के इस फैसले में पार्टी के नेता राहुल गांधी की ही पसंद को खड़गे द्वारा तरजीह दिए जाने की साफ झलक दिखती है. एक तरफ पार्टी ने जातिगत समीकरणों को साधा है, वहीं किसानों को भी खुश करने की कोशिश की है. एमपी के नए पीसीसी चीफ जीतू पटवारी राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं.
जानकारों की राय में जीतू हों या सिंघार, दोनों ही नेताओं का अपना अलग ही राजनीतिक अंदाज है. एमपी में कमलनाथ से लेकर दिग्विजय सिंह तक, तमाम गुटों में बंटी कांग्रेस के ये दोनों ऐसे नेता हैं, जिनकी पहचान किसी गुट से नहीं, बल्कि अपनी कार्यशैली से है. सियासी गलियारों में चर्चा थी कि दिग्विजय सिंह, चुरहट से विधायक बने अजय सिंह को विधायक दल का नेता या पीसीसी अध्यक्ष बनवाना चाहते थे. लेकिन राहुल गांधी के युवा करीबी साथियों को पार्टी में नई जिम्मेदारी मिलने से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि कार्यकर्ता गुटबाजी में पड़ने के बजाय जमीनी राजनीति को स्वीकार करें.
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