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Electoral reform : चुनावी राजनीति कैसे हो साफ सुथरी जब 40 फीसदी 'माननीय' हों दागी

Electoral reform : चुनावी राजनीति कैसे हो साफ सुथरी जब 40 फीसदी 'माननीय' हों दागी

यूपी में जेल से लगातार 3 बार विधायक बने माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही Criminalisation of Politics का मुद्दा चर्चा में है. ऐसे में 18वीं लोकसभा के गठन को लेकर हो रहे चुनाव के दौरान देश की सबसे बड़ी पंचायत की तस्वीर भी दागदार नेताओं से अछूती नहीं है. मौजूदा लोकसभा में 40 फीसदी सांसदों Criminal Cases में फंसे हैं.

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नेताओं की उजली खादी में लगे अपराध के धब्बे, चुनाव आयोग से लेकर देशवासियों के लिए भी चिंता का विषय है. दागदार छवि के लोग, संसद और विधानसभाओं में चुन कर न पहुंच पाएं, इसके लिए चुनाव आयोग Electoral Reforms की कवायद कर रहा है. इसके लिए नियमों को सख्त जरूर बनाया जा रहा है, लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा होता नहीं दिख रहा है. हाल ही में यूपी की राजनीति में अपराध के रास्ते राजनीति में दस्तक देने वाले दो बड़े माफिया, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की Custodial Death ने चुनाव सुधार की जरूरत को समय की मांग के तौर पर पेश किया है. इस बीच 17वीं लोकसभा की तस्वीर भी बताती है कि अपराध से राजनीति तक का सफर तय कराने वाले राज्यों में यूपी अव्वल है. चुनाव सुधार से जुड़ी शोध संस्था Association of Democratic Reforms (ADR) की ओर से चुनावी दौर में जारी रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं. एडीआर की दलील है कि चुनाव के समय यह रिपोर्ट जारी करने का मकसद मतदाताओं को जागरुक करना है जिसके परिणामों का विश्लेषण कर वे अपने मत से बेदाग सांसदों को चुन सकें.

यूपी से संसद पहुंचे सबसे ज्यादा दागी

वर्तमान में 17वीं लोकसभा के सदस्यों की पृष्टभूमि‍ का विश्लेषण करने के बाद जारी की गई एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 40 फीसदी मौजूदा सांसदों पर जुल्म के दाग धब्बे हैं. यह रिपोर्ट 548 सदस्यों वाली लोकसभा के 514 सदस्यों के हलफनामे के आधार पर बनाई गई है. संसद के Lower House की 28 सीटें अभी रिक्त हैं. एक सांसद का हलफनामा उपलब्ध नहीं होने के कारण विश्लेषण के दायरे में आए 514 सांसदों में से 225 यानी 40 फीसदी के खिलाफ Criminal Cases दर्ज हैं.

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भाजपा के सर्वाधिक सांसद दागी

रिपोर्ट के मुताबिक संख्या के आधार पर सबसे ज्यादा दागी सांसद भाजपा खेमे में हैं. भाजपा के 294 में से 118 सांसदों के खिलाफ आपराधिक किस्म के और 87 के विरुद्ध गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के 46 में से 26 (54 फीसदी) सांसदों को आपराधिक मामलों का और 14 सांसदों (30 फीसदी) को गंभीर किस्म के मामलों का सामना करना पड़ रहा है.

अपराध की प्रकृति के लिहाज से देखें तो मौजूदा लोकसभा में 9 सांसद ऐसे हैं, जिनका नाम Murder Case में दर्ज हैं. इनमें से 5 भाजपा के सांसद हैं. वहीं, हत्या के प्रयास के मामले में नामित कुल 28 सांसदों में से 21 भाजपा के हैं. इतना ही नहीं, लोकसभा के 16 ऐसे माननीय सांसद भी पिछले चुनाव में जीत गए, जिनके खिलाफ Crime against women से संबंधित आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 3 के विरुद्ध बलात्कार के मामले दर्ज हैं.

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संपत्त‍ि में भी भाजपा आगे

सांसदों की संपत्ति के विवरण से पता चला है कि मौजूदा सांसदों की औसत संपत्ति 20.71 करोड़ रुपये है. स्पष्ट है कि देश की गरीब जनता अपने लिए करोड़पति सांसद को चुनना पसंद कर रही है. दौलत के मामले में भी भाजपा अन्य दलों से आगे है. वर्तमान 514 सांसदों में 25 (5 फीसदी) सांसद अरबपति हैं. इनमें से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा संपत्ति के मालिक 9 सांसद भाजपा के और 2-2 सांसद कांग्रेस, टीआरएस, अकाली दल और वाईएसआर कांग्रेस के हैं. इस मामले में राज्यों के लिहाज से भी यूपी आगे है. यूपी के 76 में से 3 और महाराष्ट्र के 46 में से 3 सांसदों की संपत्ति 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है.

सांसदों की औसत संपत्ति के लिहाज से देखा जाए तो मौजूदा लोकसभा में प्रत्येक सांसद की औस संपत्त‍ि 20.71 करोड़ रुपये है. इस मामले में कांग्रेस के सांसद सबसे धनी हैं. कांग्रेस के 46 सांसदों की औसत संपत्ति 32.59 करोड़ रुपये है. जबकि भाजपा के 294 सांसदों की औसत संपत्त‍ि 15.65 करोड़ रुपये है.