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उत्‍तर भारतीयों की थाली में नमक, फास्‍फोरस है भरपूर, प्रोटीन और पोटेशियम की कमी, नई स्‍टडी में सामने आया सच

उत्‍तर भारतीयों की थाली में नमक, फास्‍फोरस है भरपूर, प्रोटीन और पोटेशियम की कमी, नई स्‍टडी में सामने आया सच

खाने के शौकीन उत्‍तर भारतीयों के लिए एक सर्वे डराने वाला हो सकता है. एक सर्वे के मुताबिक उत्‍तर भारत की व्‍यंजनों में नमक और फास्फोरस की अधिकता होती है. इस तरह का भोजना हाई ब्‍लड प्रेशर के अलावा दिल की बीमारियों की भी एक बड़ी वजह बन सकता है. उन्होंने नमक और फास्फोरस की मात्रा अनुशंसित मात्रा से अधिक खाई और उनमें प्रोटीन और पोटेशियम की मात्रा कम थी. 

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उत्‍तर भारतीयों के खाने को लेकर डराने वाला सर्वे उत्‍तर भारतीयों के खाने को लेकर डराने वाला सर्वे

खाने के शौकीन उत्‍तर भारतीयों के लिए एक सर्वे डराने वाला हो सकता है. एक सर्वे के मुताबिक उत्‍तर भारत की व्‍यंजनों में नमक और फास्फोरस की अधिकता होती है. इस तरह का भोजना हाई ब्‍लड प्रेशर के अलावा दिल की बीमारियों की भी एक बड़ी वजह बन सकता है. पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) , चंडीगढ़ और द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की तरफ से हुए इस सर्वे में उत्‍तर भारतीयों की डाइट से जुड़ी आदतों पर नजर रखी गई थी. इसमें पाया गया कि उन्होंने नमक और फास्फोरस की मात्रा अनुशंसित मात्रा से अधिक खाई और उनमें प्रोटीन और पोटेशियम की मात्रा कम थी. 

400 से ज्‍यादा लोगों पर हुआ सर्वे 

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन जर्नल में आए इस सर्वे में 400 से ज्‍यादा स्वस्थ वयस्क और क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) वाले वयस्क शामिल थे. उत्‍तर भारत की आबादी द्वारा विभिन्न पोषक तत्वों के सेवन का व्यापक मूल्यांकन प्रदान करने वाला यह पहला सर्वे  है. यह बात गौर करने वाली है कि भारत में हाई ब्‍लड प्रेशर, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग (सीवीडी) और क्रोनिक किडनी रोग जैसे रोगों (एनसीडी) के मरीजों की संख्‍या में इजाफा हो रहा है. द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया के शोधकर्ताओं ने पीजीआईएमईआर के सहयोग से जब इस सर्वे को पूरा किया तो उन्‍हें काफी चौंकाने वाले नतीजे मिले. 

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हाई बीपी और किडनी की बीमारी 

उनका ध्यान सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के सेवन पर था. इन सभी का उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और क्रोनिक किडनी रोग जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के विकास पर प्रभाव पड़ता है, जिससे देश में स्वास्थ्य चुनौतियां बढ़ जाती हैं. रिसर्चर्स ने पोषक तत्वों के सेवन का आकलन करने के लिए 24 घंटे के मूत्र उत्सर्जन विश्लेषण का उपयोग किया. यह वह तरीका है जिसे स्मृति या भाग के आकार के अनुमान से संबंधित त्रुटियों की कम संवेदनशीलता के कारण आहार याद करने की तुलना में अधिक सटीक माना जाता है. विश्लेषण के लिए मूत्र के नमूनों की विश्वसनीयता सावधानीपूर्वक उपायों के माध्यम से सुनिश्चित की गई थी. 

क्‍या कहता है WHO 

विश्लेषण से कुछ चिंताजनक रुझान सामने आए जैसे कि अनुशंसित स्तर से अधिक नमक का सेवन , अपर्याप्त पोटेशियम का सेवन (दोनों उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और क्रोनिक किडनी रोग के खतरे को बढ़ाते हैं), और अनुशंसित आहार भत्ते से कम प्रोटीन का सेवन. पुरुषों ने महिलाओं की तुलना में अधिक पोषक तत्वों का सेवन प्रदर्शित किया.  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देश दैनिक आहार में 2 ग्राम सोडियम (5 ग्राम नमक के अनुरूप) और कम से कम 3.50 ग्राम पोटेशियम की खपत की सलाह देते हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (द नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिसिन) के अनुसार, स्वस्थ वयस्कों के लिए फॉस्फोरस और प्रोटीन के लिए अनुशंसित आहार भत्ता (आरडीए) क्रमशः 700 माइक्रोग्राम प्रति दिन और 0.80 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन/दिन है.