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किसान आंदोलन पर पंजाब-हरियाणा HC में हुई सुनवाई, कोर्ट ने कहा- बल का उपयोग अंतिम उपाय होना चाहिए

किसान आंदोलन पर पंजाब-हरियाणा HC में हुई सुनवाई, कोर्ट ने कहा- बल का उपयोग अंतिम उपाय होना चाहिए

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार में संतुलन होना चाहिए. कोई भी अधिकार अलग नहीं है. सावधानी और एहतियात को ध्यान में रखा जाना चाहिए. किसी भी मुद्दे को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए

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किसान आंदोलन मामले में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस याचिका में हरियाणा में इंटरनेट पर प्रतिबंध के अलावा, रास्तों को बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है. यह धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र के स्तंभों पर आधारित है. संविधान के अनुच्छेद 13-40 तक इन सिद्धांतों का विस्तार से बखान है. मौलिक अधिकार सेंसरशिप के बिना इन अधिकारों की स्वतंत्रता के प्रयोग की अनुमति देते हैं. लेकिन सरकार ने किसानों को रोका है. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सड़कों पर कीलें और बिजली के तार लगे हैं. ये देश भर में फ्री आवाजाही के अधिकार का हनन है.

हाईकोर्ट में पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि मुद्दा यह है कि वे (किसान) विरोध प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ रहे हैं. पंजाब में इकट्ठा होने के लिए नहीं. पंजाब में कोई सीलिंग नहीं है. यदि वे शांतिपूर्ण विरोध के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं तो हम भी इसकी अनुमति दे रहे हैं. भीड़ नियंत्रण आदि के लिए उचित व्यवस्था की गई है. पंजाब सरकार ने कहा कि उनकी मांगें वास्तविक हैं. उन्हें देखने की ज़रूरत है, लेकिन पंजाब को चिंता इसलिए नहीं है क्योंकि वे पंजाब में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं. हाई कोर्ट में हरियाणा सरकार ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया जा सकता है. लेकिन यहां वे जनता को असुविधा में डाल रहे हैं. इनके पिछले रिकॉर्ड पर भी नजर डाली जाए तो सब कुछ पता चल जाएगा. एक्टिंग चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपको कैसे पता कि वे वही लोग हैं? पंजाब सरकार ने स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा. कोर्ट ने कहा कि यह कहना बहुत आसान है कि उनके पास अधिकार हैं लेकिन सड़कों पर लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य को भी कदम उठाना होगा. उनके भी अधिकार हैं.

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कोई भी अधिकार अलग नहीं हैः हाई कोर्ट

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार में संतुलन होना चाहिए. कोई भी अधिकार अलग नहीं है. सावधानी और एहतियात को ध्यान में रखा जाना चाहिए. किसी भी मुद्दे को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए. बल का उपयोग अंतिम उपाय होगा. अदालत ने केंद्र की दलीलों पर गौर किया कि बैठकें हो रही हैं. अदालत ने हरियाणा की यह दलील भी दर्ज की कि ट्रैक्टरों को मोडिफाइड किया गया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रोटेस्ट के दौरान लॉ एंड ऑर्डर को ना खराब होने दें. 

सभी मिल कर विवाद का हल निकालें

केंद्र सरकार ने कहा कि जहां तक एमएसपी का मामला है तो उसको लेकर जुलाई 2022 में ही कमेटी बनाई जा चुकी है. इसका किसान नेता बायकॉट कर चुके हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य देखें कि एक निश्चित जगह पर प्रोटेस्ट हो. सभी पक्ष मिल कर विवाद का हल निकालें. दोनों राज्य सरकार और केंद्र स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करेंगे. किसान आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा में इंटरनेट बंद और आने जाने पर पाबंदी लगाने के आदेश के खिलाफ अब पंजा हरियाणा हाईकोर्ट में अगली सुनवाई गुरुवार यानी 15 फरवरी को होगी. कोर्ट ने केंद्र, हरियाणा और पंजाब सरकार से स्थिति रिपोर्ट तलब की है. हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार से उस स्थान की पहचान करने को भी कहा जहां विरोध प्रदर्शन किया जा सकता है. 

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दिल्ली सरकार को भी बनाया गया पक्षकार

हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी इसमें पक्षकार बनाया है. पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि मुद्दा यह है कि वे विरोध प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ रहे हैं. पंजाब में इकट्ठा होने के लिए नहीं. पंजाब में कोई सीलिंग नहीं है. यदि वे शांतिपूर्ण विरोध के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं तो हम भी इसकी अनुमति दे रहे हैं. भीड़ नियंत्रण आदि के लिए उचित व्यवस्था की गई है. पंजाब सरकार ने कहा कि उनकी मांगें वास्तविक हैं. उन्हें देखने की ज़रूरत है, लेकिन पंजाब को चिंता इसलिए नहीं है क्योंकि वे पंजाब में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं. हरियाणा सरकार ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया जा सकता है. लेकिन यहां वे जनता को असुविधा में डाल रहे हैं.