Chandrapur Kidney Case: किसान की किडनी बेचने के मामले में बड़ा खुलासा, इतने अवैध ट्रांसप्‍लांट की आशंका, SP ने कही ये बात

Chandrapur Kidney Case: किसान की किडनी बेचने के मामले में बड़ा खुलासा, इतने अवैध ट्रांसप्‍लांट की आशंका, SP ने कही ये बात

कर्ज से परेशान किसान की किडनी बेचने के मामले में पुलिस जांच ने कई चौंकाने वाले राज खोले हैं. SP ने बताया कि यह सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि देशभर में फैले बड़े रैकेट की ओर इशारा कर रहा है. इसके तार अब दिल्ली और तमिलनाडु से भी जुड़ गए हैं.

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किसान की किडनी बेचने के मामले में बड़ा खुलासा, इतने अवैध ट्रांसप्‍लांट की आशंका, SP ने कही ये बातप्रेस कॉन्‍फ्रेंस करते हुए चंद्रपुर एसपी

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में किसान द्वारा कर्ज चुकाने के लिए किडनी बेचने के सनसनीखेज मामले में पुलिस ने बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा किया है. इस केस की जांच के दौरान सामने आया है कि भारत में एक बड़ा और संगठित किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट सक्रिय है, जिसके तार दिल्ली और तमिलनाडु से जुड़े हुए हैं. प्रारंभिक जांच में देशभर में अब तक 25 से 30 किडनी बेचे जाने की जानकारी सामने आई है. इस पूरे मामले का खुलासा चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुमक्का ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए किया.

किसान की शिकायत के बाद खुला मामला

यह मामला नागभीड़ तहसील के 36 वर्षीय किसान रोशन कूड़े की शिकायत के बाद उजागर हुआ था. किसान ने बताया कि उसने साहूकारों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लिया था और लगातार बढ़ते कर्ज के दबाव में आकर उसने अपनी किडनी बेचने का फैसला किया. बाद में शिकायत के आधार पर ब्रह्मपुरी पुलिस थाने में अपराध क्रमांक 654/2025 के तहत भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और महाराष्ट्र सावकारी (नियमन) अधिनियम 2014 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया.

पुलिस ने किया SIT का गठन

मामले की गंभीरता को देखते हुए चंद्रपुर पुलिस ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया. जांच के दौरान यह साफ हुआ कि मामला केवल अवैध कर्ज तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें अवैध किडनी प्रत्यारोपण का भी गंभीर अपराध शामिल है. इसके बाद इस केस में The Transplantation of Human Organs and Tissues Act, 1994 की धारा 18 और 19 को भी जोड़ा गया. इस प्रकरण में अब तक छह साहूकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

जांच में शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि किडनी प्रत्यारोपण के लिए उसे कंबोडिया ले जाया गया था. इसी कड़ी में पुलिस ने कृष्णा उर्फ रामकृष्ण सुंचू और हिमांशु भारद्वाज को गिरफ्तार किया. तकनीकी विश्लेषण और गहन पूछताछ के बाद यह सामने आया कि इस रैकेट के भारत में अन्‍य जगहों पर भी गहरे और मजबूत नेटवर्क मौजूद हैं.

आरोपी ने पूछताछ में डॉक्‍टरों के नाम लिए

आरोपी हिमांशु भारद्वाज ने पूछताछ में कबूल किया कि जुलाई 2022 में आर्थिक तंगी के कारण उसने अपनी किडनी बेची थी. यह सौदा कृष्णा उर्फ रामकृष्ण सुंचू के माध्यम से कराया गया था. जांच में यह भी सामने आया कि अवैध प्रत्यारोपण तमिलनाडु के त्रिची स्थित स्टॉर किम्स हॉस्पिटल में किया गया. इस पूरे रैकेट में अस्पताल के संचालक डॉ. राजरत्नम गोविंदस्वामी और दिल्ली के डॉ. रविंद्रपाल सिंह की संलिप्तता पाई गई है.

पुलिस के अनुसार, किडनी लेने वाले मरीज से 50 से 80 लाख रुपये तक की मोटी रकम वसूली जाती थी. इस राशि में से लगभग 10 लाख रुपये डॉ. रविंद्रपाल सिंह को, 20 लाख रुपये स्टॉर किम्स हॉस्पिटल के संचालक डॉ. राजरत्नम गोविंदस्वामी को सर्जरी और अस्पताल सुविधाओं के नाम पर दिए जाते थे. वहीं, कृष्णा उर्फ रामकृष्ण सुंचू और अन्य एजेंटों को करीब 20 लाख रुपये मिलते थे. किडनी दान करने वाले गरीब और मजबूर व्यक्ति को केवल 5 से 8 लाख रुपये ही दिए जाते थे.

आरोपी डॉक्‍टर को ट्रांजिट रिमांड पर लाया जाएगा

मामले की जांच को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय अपराध शाखा चंद्रपुर की एक टीम तमिलनाडु के त्रिची स्थित स्टॉर किम्स हॉस्पिटल पहुंची है, जहां अस्पताल संचालक डॉ. राजरत्नम गोविंदस्वामी की तलाश जारी है. वहीं, दूसरी टीम ने दिल्ली में डॉ. रविंद्रपाल सिंह को हिरासत में लिया है. उन्हें ट्रांजिट रिमांड के लिए दिल्ली की संबंधित अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उन्हें 2 जनवरी 2026 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, चंद्रपुर के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है.

एसपी सुदर्शन मुमक्का ने बताया कि अब तक इस किडनी रैकेट के कंबोडिया कनेक्शन सामने आए थे, लेकिन चंद्रपुर पुलिस की गहन जांच से भारत के नामी अस्पतालों, कई डॉक्टरों और एजेंटों से जुड़े एक बड़े किडनी प्रत्यारोपण घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. फिलहाल इस मामले की जांच तेजी से जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासों की संभावना जताई जा रही है. (विकास राजुरकर की रिपोर्ट)

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