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राजस्थान में गेहूं से ज्यादा महंगा हुआ उसका भूसा, दूसरे राज्य से भी किसान जा रहे बेचने, जानें कीमत

राजस्थान में गेहूं से ज्यादा महंगा हुआ उसका भूसा, दूसरे राज्य से भी किसान जा रहे बेचने, जानें कीमत

मालवा और दोआबा के अधिकांश किसान गेहूं के भूसे को बेचने के लिए राजस्थान ले जा रहे हैं, जहां उन्हें अच्छा रेट मिल रहा है. अन्य लोग गर्मी के चरम मौसम के दौरान इसे राज्य के बाजारों में बेचने की योजना बना रहे हैं, ताकि कीमत बढ़ने पर अधिक कमाई की जा सके.

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गेहूं से महंगा हुआ गेहूं का भूसा. (सांकेतिक फोटो) गेहूं से महंगा हुआ गेहूं का भूसा. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब में गेहूं की पराली जलाने की खबरें आम हैं. लेकिन इस बार गेहूं की पराली जलाने के मामले में कुछ गिरावट आई है. क्योंकि मार्केट में गेहूं के भूसे की कीमत अच्छी मिल रही है. वहीं, राजस्थान में तो भूसा गेहूं से ज्यादा महंगा हो गया है. इससे किसान पराली को जलाने के बजाए बेचना पसंद कर रहे हैं. खास बात यह है कि मालवा और दोआबा के अधिकांश किसान गेहूं बेचने के लिए राजस्थान की तरफ रूख कर रहे हैं.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मालवा और दोआबा के अधिकांश किसान गेहूं के भूसे को बेचने के लिए राजस्थान ले जा रहे हैं, जहां इसकी कीमत लगभग 2,500 रुपये से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि, गर्मी बढ़ने के साथ कीमत और बढ़ जाएगी. यानी राजस्थान में गेहूं से ज्यादा महंगा भूसा ही है. अभी गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2275 रुपये प्रति क्विंटल है. अधिकारी ने कहा कि कई किसान गर्मी का इंतजार कर रहे है. उन्हें उम्मीद है कि गर्मी बढ़ने पर भूसे का रेट और बढ़ेगा. ऐसे में वे गेहूं का भूसा बेचकर अधिक से अधिक कमाई कर सकते हैं.

दोगुनी हो गई भूसे की कीमत

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चलाने की वजह से किसान पराली नहीं जला रहे हैं. हालांकि यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है कि हम इस पर रोक लगाएं. उनकी माने तो किसानों का यह भी कहना है कि वे अपने मवेशियों के चारे के रूप में उपयोग करने के लिए बची हुई पराली को जमा करने की कोशिश कर रहे हैं. दोराहा गांव के किसान जसबीर सिंह बताते हैं कि तीन साल पहले की तुलना में सूखे चारे की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है. 

क्या कहते हैं किसान

अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में खेतों में आग लगने की घटनाएं चरम पर होंगी जब किसान जून में धान के मौसम के लिए अपने खेत तैयार करेंगे. हाल ही में हुई बारिश के कारण पराली गीली हो गई है, इसलिए किसान जलाने का सहारा नहीं ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में गेहूं की अभी तक कटाई नहीं हुई है. इस कारण भी किसान पराली नहीं जला रहे हैं. मालवा और दोआबा के अधिकांश किसान गेहूं के भूसे को बेचने के लिए राजस्थान ले जा रहे हैं, जहां उन्हें लगभग 2,500 रुपये से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल मिलते हैं. अन्य लोग गर्मी के चरम मौसम के दौरान इसे राज्य के बाजारों में बेचने की योजना बना रहे हैं, जब इसकी कीमत बढ़ जाएगी.