देश के कई राज्य इस वक्त भयंकर गर्मी की चपेट में है. तमिलनाडु में भी लू की लहर चल रही है. यहां पर पिछले कई सप्ताह से तापमान 38 से 41 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जा रहा है. धूप इतनी तेज है कि घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. पर ऐसी स्थिति में भी खेती करने वाले किसान परिवारों को खेत में काम करने के लिए घर से बाहर जाना पड़ रहा है. इससे उनकी परेशानी बढ़ गई है. कई किसान धूप के कारण अपने खेतों में काम नहीं कर पा रहे हैं. इसके अलावा इस कड़ी धूप में मजदूरों को भी खेत में काम करने में परेशानी हो रही है.
2011 की जनगणना के अनुसार तमिलनाडु में कुल 9.6 मिलियन कृषि मजदूर रहते हैं. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने हाल में जारी एक बयान में कहा है कि विश्व के 70.9 फीसदी श्रमिकों को अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ा. इसके कारण उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा है. तमिलनाडु के किसानों और कृषि मजदूरों को भी इसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मयिलादुथुराई जिले के पट्टावर्ती पंचायत के पुथाग्राम गांव के कृषि मजदूर 58 वर्षीय एस. कालियाम्मल बताते हैं कि पहले उनके लिए तेज धूप में काम करना बड़ी समस्या नहीं थी, पर अब गर्मी बहुत तेज लगती है. इसके कारण वो काम नहीं कर पाते हैं. साथ ही कहा कि उन्हें चक्कर और प्यास लगती है साथ ही पहली बार थकान भी महसूस हुई है.
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बता दें कि तमिलनाडु में हीटवेव की स्थित को देखते लोगों को दिन के 11 बजे से लेकर 3 बजे तक घर से बाहर नहीं निलकने की सलाह दी गई है. पर राज्य के कई जिलों में खेती का सीजन शुरू हो गया है. इसलिए किसान धान की खेती, कपास की खेती और उड़द दाल और केले की खेती पूरे जोर शोर से चल रही है. इसलिए इस समय खेतों में अधिक मजदूरों की जरूरत पड़ती है. इस समय कृषि मजदूरों को भी अधिक काम मिलता है इसलिए वो काम करते हैं पर लू जैसे हालात उनके लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं. पर मजबूरी में किसानों को काम करना पड़ रहा है. एक स्थानीय किसान किट्टप्पा स्ट्रीट के वी. अरुल सेल्वी ने कहा कि धूप इतनी तेज होती है कि सुबह 11 बजे के बाद खेत में खड़ा होना मुश्किल हो जाता है. पर उन्होंने दो छोटे लोन लिए हैं जिसकी किश्त हर हफ्ते चुकानी पड़ती है इसलिए उन्हें काम करना पड़ता है.
तिरुचि में कुमारवायलुर पंचायत के नॉर्थ स्ट्रीट के कृषक मजदूर के वी. मरुथम्बल ने कहा कि उन्हें पैसे की बहुत जरूरत है पर धूप के कारण तबियत खराब नहीं हो जाए इसलिए वो सिर्फ आधा काम ही कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि काम के दौरान आंखे कुछ देर तक के लिए धुंधली हो जाती है. साथ ही बताया की दैनिक मजदूरी के तौर पर 250-300 रुपये मिलते हैं पर फिलहाल वो आधा काम कर रहे हैं तो सिर्फ 150 रुपये ही मिल रहे हैं. इसके कारण आर्थिक परेशानी हो गई है.
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तमिल मनीला कांग्रेस के किसान विंग के राज्य कोषाध्यक्ष वायलुर एन. राजेंद्रन ने इस मामले में सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक कृषि श्रमिक बेहोश हो जाता है और काम पर रखने वाला किसान उसे अस्पताल ले जाता है और उसका खर्च वहन करता है. चिंतित किसान श्रमिकों को निरंतर नाश्ता और पानी प्रदान करते हैं. लेकिन कई किसान कम मुनाफा कमाते हैं और कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. उनके लिए स्वयं काम करना असंभव हो जाता है.
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