हरियाणा के पानीपत जिले की अनाज मंडियों में गेहूं की खरीद लगातार प्रभावित हो रही है. इसका मुख्य कारण प्रवासी मजदूरों की भारी कमी है, क्योंकि मंडियों में बोरी उठाने वाले मजदूरों की कमी दिख रही है. वहीं पिछले साल की तुलना में इस साल मंडियों में 30 प्रतिशत कम मजदूर पहुंचे हैं. हालांकि यहां की अनाज मंडियों में 70 फीसदी गेहूं आ चुका है, लेकिन एजेंसियों द्वारा शनिवार शाम तक केवल 13 फीसदी खरीदे गए गेहूं का ही उठाव किया गया. रिकॉर्ड के अनुसार यहां करीब दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं बोया जाता है.
हर साल गेहूं की कटाई के मौसम में सैकड़ों की संख्या में यहां आने वाले बिहार, झारखंड और यूपी और उसके आसपास के इलाके के मजदूर इस साल बहुत कम आए हैं. मजदूरों का कम आना परेशानी का सबब है.
रिकॉर्ड के अनुसार, खाद्य और आपूर्ति जैसी सरकारी खरीद एजेंसियों ने शनिवार शाम तक खरीदे गए गेहूं का हैफेड ने 6 प्रतिशत, एफसीआई ने 3.9 प्रतिशत और हरियाणा वेयरहाउस कॉरपोरेशन ने 23 प्रतिशत गेहूं का उठाव किया है.
समालखा अनाज मंडी के अध्यक्ष बलजीत सिंह ने कहा कि किसानों के लिए ताजा उपज उतारने के लिए जगह नहीं है क्योंकि लगभग 9 लाख बैग गेहूं बाजारों में खुले में पड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि आंकड़ों में बताया गया कि खाद्य और आपूर्ति एजेंसी ने लगभग 5 लाख बैग खरीदे हैं, लेकिन रविवार शाम तक सिर्फ 15000 बैग ही उठाए गए हैं.
जिला खाद्य और आपूर्ति नियंत्रक, आदित्य कौशिक ने बताया कि उन्होंने 11 अप्रैल को यहां ज्वाइन किया था. वहीं 15 अप्रैल को लिफ्टिंग के टेंडर को अंतिम रूप दिया गया. उसके बाद खरीदी गई गेहूं की बोरियों का उठाव धीमी गति से होने का मुख्य कारण लिफ्टिंग के टेंडर में देरी होना है.
डीएफएससी ने कहा कि इस समस्या को दो-तीन दिनों मे हल करने की व्यवस्था बनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार गेहूं की बोरियों को भरने, सिलाई करने लदाई करने और उतारने के लिए पहले एक मजदूर को 14 रुपये प्रति बोरी पैसा दिया जाता था. लेकिन मजदूरों की कमी के कारण आढ़तियों को वहां उपलब्ध मजदूरों को 21 रुपये प्रति बोरी देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
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