भारत ने अगर बैग बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है तो इसके पीछे एक बड़ी वजह है. इसकी जानकारी खुद केंद्रीय राज्य मंत्री ने संसद में दी है. मंत्री के मुताबिक हाल के महीनों में देश से सफेद चावल का निर्यात बहुत तेजी से बढ़ा है जबकि घरेलू बाजार में इसके रेट तेजी से बढ़ रहे थे. इस महंगाई को रोकने के लिए सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया. इस प्रतिबंध के पीछे का कारण बताते हुए केंद्र ने कहा है कि 2022-23 के पहले तीन महीनों में इस किस्म का निर्यात 34.54 प्रतिशत बढ़ गया.
बुधवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अप्रैल-जून 2023-24 के दौरान चावल की सफेद किस्म (एचएस कोड 1006 30 90) का लगभग 15.54 लाख टन निर्यात किया गया था. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान 11.55 लाख टन चावल का निर्यात किया गया था. इस तरह निर्यात में 34.54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
2021-22 और 2022-23 के दौरान निर्यात किए गए कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल का हिस्सा 26.66 प्रतिशत था. बाद में इस पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगने के बाद भी इस किस्म का निर्यात 33.66 प्रतिशत (सितंबर-मार्च 2021-22) से बढ़कर 42.12 प्रतिशत (सितंबर-मार्च 2022-23) हो गया. सफेद चावल के निर्यात पर 20 परसेंट की एक्सपोर्ट ड्यूटी 8 सितंबर 2022 से लगी हुई है.
सफेद चावल के निर्यात पर बैन के कारणों के बारे में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि मॉनसून के आने में देरी के कारण चालू खरीफ सीजन में नौ जुलाई तक चावल के रोपाई क्षेत्र में 13.26 प्रतिशत की गिरावट आई है.
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देश में चावल के दाम में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है. कुछ महीने में ही चावल के दाम तेजी से बढ़ गए हैं. इस महंगाई को कम करने के लिए सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम चला रही है. इसके तहत देश में 25 लाख टन चावल खुले बाजार में बेचा जाएगा. इसमें सरकार फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिये खुले बाजार में चावल बेच रही है. सरकार का कहना है कि खुले बाजार में चावल की सप्लाई बढ़ने से महंगाई को घटाने में मदद मिलेगी. सरकार हर हफ्ते ई-नीलामी के जरिये व्यापारियों को चावल बेच रही है ताकि बाजार में अधिक से अधिक चावल की आवक बढ़े.
दूसरी ओर, सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगते ही दुनिया के देशों में उबले चावल की मांग बढ़ गई है. भारत उबले चावल का निर्यात भी बड़े पैमाने पर करता है. सफेद चावल का निर्यात रुकते ही कई देशों से उबले चावल की मांग आने लगी है. देश के बंदरगाहों से उबले चावल ले लदे जहाज तेजी से निकल रहे हैं. कई अफ्रीकी देशों में इस चावल की मांग बढ़ी है क्योंकि उन्हें सफेद चावल नहीं मिल पा रहा है.
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