देश से ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के देशों में सप्लाई किए जाने वाले हर्बल फूड सप्लिमेंट की डिलिवरी फंस गई है. दरअसल केंद्र सरकार ने इसको प्रमाणित करने वाली लैब में अब कुछ बदलाव कर दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक अब मनुष्यों और जानवरों के इस्तेमाल के लिए देश में बनाए जाने वाले प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट इन्स्पेक्शन काउंसिल यानी ईआईसी स्वीकृत लैब के माध्यम से सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया गया है.
बता दें कि भारत हर साल 612 मिलियन डॉलर के हर्बल प्रोडक्ट का निर्यात करता है जिसका बड़ा हिस्सा यूरोप और ब्रिटेन को जाता है. नए बदलाव में नए नियम आईटीसी एसएस कोड 1302 और 2106 के लिए लागू किए गए हैं. पहले ये सर्टिफिकेट शेफेक्सिल यानी शेलैक एंड फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की तरफ से दिए जाते थे.
हर्बल प्रोडक्ट के संकट में आने पर छोटा कारोबारियों के संगठन लघु उद्योग भारती ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर राहत की मांग की है. संगठन की तरफ से लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि इस आदेश से ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के देशों में निर्यात किया जाने वाला सैकड़ों करोड़ रुपये का माल कस्टम में फंस गया है.
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संगठन ने ये भी कहा है कि सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करते हुए राहत देने के बारे में सोचना चाहिए, नहीं तो न केवल निर्यातकों बल्कि इस दिशा में लगे कृषि क्षेत्र के लोगों को भी बड़ा नुकसान होने की आशंका है. संगठन ने कहा कि सरकार इस पर विचार करते हुए पुरानी व्यवस्था को भी जारी रखे जिससे नई प्रक्रिया से उत्पन्न अड़चनें खत्म हैं.
लघु उद्योग भारती ने पीयूष गोयल को लिखे पत्र में कहा है, डीजीएफटी की ओर से अचानक पॉलिसी में किए गए बदलाव से एमएसएमई सेक्टर को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इस बारे में सरकार की तरफ से 31 जुलाई को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है. ईयू और यूके को निर्यात किए जाने वाले फूड सप्लीमेंट्स जिसमें बोटानिकल्स मिल हों, उस पर रोक लग गई है. यह निर्यात कई साल से ठीक चल रहा था. रोक की वजह से ईयू को भेजे जाने वाला सैकड़ों करोड़ का निर्यात फंस गया है. इसलिए सरकार से आग्रह है कि नए बदलावों और नियमों पर विचार किया जाए.
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