जहां मिट्टी खराब हो चुकी है. जमीन के अंदर का पानी भी खारा है. ऐसे में अनाज तो छोड़िए इस जमीन पर चारा भी नहीं हो सकता है. लेकिन इसी तरह की मिट्टी और पानी में सोने की खेती झींगा पालन कामयाब होता है. झींगा पालन को सोने की खेती क्योंह कहा जाता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान का चुरू जिला चढ़ते और गिरते तापमान के लिए जाना जाता है. सर्दियों में यहां तापमान माइनस में चला जाता है तो गर्मियों में 50 डिग्री को भी पार कर जाता है.
यहां बारिश भी बेमौसम हो गई है. 50 फीसद से ज्यादा जमीन भी रेतीली है. बावजूद इसके बिना किसी परेशानी के यहां झींगा का उत्पांदन खूब हो रहा है. इसी संभावना को देखते हुए राजस्थाेन सरकार चुरू में एक हाईटेक लैब बनवा रही है. इस लैब में मिट्टी की जांच होगी. जिससे ये देखा जाएगा कि चुरू और उसके आसपास कहां-कहां झींगा पालन किया जा सकता है.
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मत्य् की विभाग, राजस्था न के अधिकारी लायक अली ने किसान तक को बताया कि चुरू में झींगा पालन को और बढ़ावा देने के लिए राजस्था न सरकार मिट्टी की जांच को लैब बनवा रही है तो दूसरी ओर केन्द्र सरकार ने पीएम मत्य्अ पालन योजना के तहत मछलियों की जांच के लिए एक हाईटेक लैब बनवाई है.
इस लैब को जलीय कृषि प्रयोगशाला नाम दिया गया है. इतना ही नहीं राजस्थान सरकार ने अपना जिला मत्य्ेन् ऑफिस भी चुरू में खोल दिया है. केन्द्र सरकार ने 16 करोड़ तो राज्य सरकार ने 52 करोड़ रुपये का पैकेज झींगा और मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए चुरू को दिया है. चुरू के झींगा पालकों को राज्य सरकार तकनीकी सहायता भी दे रही है.
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सूरत, गुजरात निवासी फिशरीज के डॉक्टर मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि सबसे पहली बात तो यह कि जमीन का खारा पानी झींगा पालन के लिए अमृत होता है. जमीन के पानी में किसी भी तरह के बैक्टेरिया नहीं होते हैं और यह पूरी तरह से झींगा के लिए प्योर होता है. झींगा को 26 से 32 डिग्री तापमान वाला पानी चाहिए होता है. तालाब के पानी के तापमान और बाहरी तापमान में 5-6 डिग्री का अंतर रहता है. इसके अलावा झींगा के तालाब में कई तरह के उपकरण लगाए जाते हैं जो पानी में मूवमेंट बनाते रहते हैं. इससे पानी अपने सामान्य तापमान पर ही रहता है. जबकि ठहरा हुआ पानी जल्दी गर्म और ठंडा होता है.
एक मोटे अनुमान के मुताबिक चुरू में एक साल में करीब तीन हजार टन तक झींगा एक साल में हो रहा है. तीन से चार महीने में झींगा तैयार हो जाता है. आमतौर पर मछली पालक साल में तीन बार झींगा की फसल करते हैं. ज्यादातर एक्सपोर्ट होने के साथ राजस्था्न के कुछ फाइव स्टार होटल में भी झींगा की सप्लाई है.
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