देश में लाखों हेक्टेयर जमीन ऐसी है जहां झींगा पालन किया जा सकता है. लेकिन अभी ये जमीन बेकार ही पड़ी हुई है. ना तो यहां फसली खेती हो सकती है और ना ही यहां झींगा पालन हो रहा है. लाखों हेक्टेायर जमीन के एक छोटे से हिस्से पर केन्द्र सरकार झींगा पालन को बढ़ावा देने का प्लान तैयार कर रही है. हाल ही में केन्द्रीय मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कई राज्यों के संबंधित अधिकारियों संग एक बैठक की थी. बेकार पड़ी इस खारी जमीन का कुछ हिस्सा कोस्टल एरिया में आता है तो कुछ उत्तर भारत के चार राज्यों में भी है.
मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की मानें तो देश के चार राज्यों में 58 हजार एकड़ जमीन ऐसी है जो खेती के लायक नहीं बची है. ये वो जमीन है जिस पर अनाज का एक दाना भी नहीं उगाया जा सकता है. लेकिन मत्स्य पालन मंत्रालय ने ऐसी ही खराब जमीन से किसानों की किस्मत बदलने का प्लान तैयार किया है. उनका दावा है कि इससे किसानों की मोटी इनकम होगी. इस प्लान की जिम्मेदारी आईसीएआर-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), रोहतक, हरियाणा को दी है.
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हाल ही में हुई बैठक के दौरान उत्त र भारत के पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान को लेकर चर्चा हुई थी. आईसीएआर-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), रोहतक प्रभारी का कहना है कि एक खास तकनीक के चलते हरियाणा में 2942 एकड़, पंजाब में 1200 एकड़, राजस्थान में 1000 एकड़ और उत्तर प्रदेश में 20-25 एकड़ जमीन पर खारे पानी में झींगा का उत्पादन किया जा रहा है. इस साल हरियाणा में उत्पादन क्षेत्र 1200 एकड़ और बढ़ गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि जमीन को देखते हुए यहां झींगा उत्पादन की अभी और संभावनाएं हैं.
रवि कुमार येलांकी ने बताया कि 14-15 ग्राम वजन वाला झींगा तालाब में 70 से 80 दिन में तैयार हो जाता है. अगर झींगा पालन में किसी भी तरह की कमी रह भी जाती है तो ज्यादा से ज्यादा 90 दिन में तो हर हाल में तैयार हो ही जाएगा. इसके अलावा अगर बड़े साइज का झींगा तैयार करना है तो ज्यादा से ज्यादा चार महीने में तैयार हो जाएगा. इस तरह से एक साल में झींगा की तीन से चार बार तक फसल तैयार की जा सकती है.
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झींगा हैचरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आंध्रा प्रदेश निवासी रवि कुमार येलांकी ने किसान तक को बताया कि वैसे तो देश ही नहीं विदेशों के बाजार में हर तरह के साइज वाले झींगा की डिमांड है. जैसे चीन और अमेरिका की बात करें तो यहां झींगा की बहुत खपत है. यहां बड़े साइज का झींगा ज्यादा खाया जाता है. अगर छोटे साइज जैसे 14 से 15 ग्राम की बात करें तो इसकी सबसे ज्यादा डिमांड है. एक किलो वजन में यह 60 से 70 पीस आ जाते हैं. नौ ग्राम का झींगा भी बाजार में मांगा जाता है. लेकिन इसकी डिमांड ज्यादा नहीं है. लेकिन अभी महंगी लागत के चलते भारतीय झींगा का बाजार बहुत सुस्ती है.
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