कड़ी मशक्कत के बाद अब सरकारी दस्तावेजों में जिंदा दर्ज हुए यूपी के किसान जयपाल सिंहउत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग के लैंड रिकॉर्ड में एक किसान को मृत बता दिया गया. ना ही किसान के परिजनों ने महकमे में किसान का मृत्यु प्रमाण पत्र लगाया, ना ही इस बाबत कोई आवेदन किया गया. लगातार 3 महीने की मशक्कत के बाद जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के दखल से अब जाकर किसान खुद को सरकारी दस्तावेजों में 'जिंदा' दर्ज करा पाया है. सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन शामली जिले में राजस्व विभाग के चकबंदी अधिकारियों ने 70 साल के जयपाल सिंह को मृत घोषित कर दिया. उन्हें इस बात का इल्म 3 साल बाद तब हुआ, जब वह जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) की अदालत में किसी की जमानत लेने पहुंच गए
जमानत के लिए अपनी जमीन के दस्तावेज लगाने पर पता चला कि उक्त जमीन पर वारिस के तौर पर किसी और का नाम दर्ज हो चुका है. उसी दस्तावेज में जयपाल नामक शख्स को मृत दर्शाया गया था.
जयपाल ने 'किसान तक' से अपनी व्यथा साझा करते हुए बताया कि चकबंदी विभाग के अफसरों ने कुछ लोगों की मिलीभगत से साल 2019 में उनकी पैतृक संपत्ति के दस्तावेजों में दर्ज उनका नाम हटा कर किसी और का नाम दर्ज करा दिया. इसकी जानकारी जयपाल को दिसंबर 2022 में उस समय हुई, जब वह जमानत के सिलसिले में डीएम की अदालत में पेश हुए.
डीएम ने उनके दस्तावेजों का मिलान जब ऑनलाइन राजस्व रिकॉर्ड से कराया तो पता चला कि जमानत देने वाला तो मर चुका है. डीएम ने इसे फर्जीवाड़ा करार दिया. इस पर जयपाल के लिए जेल जाने की नौबत आ गई. अदालत में मौजूद गांव के अन्य लोगों ने भी डीएम को बताया कि अदालत में मौजूद शख्स जयपाल ही है और वह मरा नहीं है. गवाहों पर यकीन कर अदालत ने जयपाल को 15 दिन के भीतर खुद को जिंदा साबित करने की मोहलत दी.
जयपाल ने बताया कि उन्होंने राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित करने से जुड़े सभी दस्तावेज निकलवाए. तब जाकर उजागर हुआ कि चकबंदी विभाग के कर्मचारियों ने कुछ लोगों की मिलीभगत से उन्हें मृत घोषित करने के कारनामे को अंजाम दे डाला. जयपाल की तमाम कोशिशों के बावजूद राजस्व विभाग ने इस गलती को 15 दिन में नहीं सुधारा.
आखिर में जयपाल को डीएम की अदालत में मदद की गुहार लगानी पड़ी. डीएम ने अन्य दस्तावेजी सबूतों के आधार पर इस बात की पुष्टि कर ली कि गांव के एक किसान को मृत घोषित करने की भूल विभागीय अधिकारियों द्वारा ही हुई है.
जयपाल ने बताया कि विभागीय अधिकारी अपनी गलती को छुपाने के लिए दस्तावेजों में सुधार नहीं कर रहे थे. फरवरी के पहले सप्ताह में जब डीएम की अदालत ने सख्त रुख अख्तियार किया, तब जाकर अधिकारियों ने दस्तावेजों में सुधार किया.
उन्होंने बताया कि अदालत ने माना कि यह बदनीयती से किया गया था. जयपाल ने इस काम को अंजाम देने वाले कर्मचारियों की पहचान कर दंडित करने की अर्जी अदालत में दायर कर दी है. डीएम की अदालत ने मामले की जांच कर दोषी कर्मचारियों को पकड़ने का आदेश दिया है.
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