पिछली खबर में आप पढ़ चुके हैं कि कैसे एक किसान जो कभी हरियाणा की बैंकों में लोन मांगने नहीं गया, कभी वहां लोन के बारे में बात भी नहीं की. यहां तक कि हरियाणा में किसी बैंक कर्मचारी को भी नहीं जानता. बावजूद इसके हरियाणा के दो बैंक एक सरकारी और एक प्राइवेट बैंक उस किसान पर ब्याज समेत करीब 25 लाख रुपये का लोन दिखा रहे थे. जब किसान तक टीम महेन्द्रगढ़, हरियाणा पहुंची और छानबीन की तो किसान के लिए भारी-भरकम इस लोन से जुड़ी हकीकत परत दर परत खुलती चली गईं.
करीब 25 लाख रुपये जैसी बड़ी रकम की देनदारी के साथ दो महीने किसान ब्रजपाल के कैसे बीते ये तो वहीं जानते हैं. हम और आप तो सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं. किसान तक की पड़ताल में सामने आई एक बहुत बड़ी लापरवाही. ऐसी लापरवाही जिसने किसान को शर्म के चलते घर में कैद होने को मजबूर कर दिया. ऐसे में किसान के साथ कुछ भी घटना घट सकती थी. ये लापरवाही सिबिल स्कोर की वेबसाइट से जुड़ी हुई थी.
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सिबिल स्कोर में दिए गए लोन अकाउंट नंबर के सहारे किसान तक की टीम सतनाली कस्बा, महेन्द्रगढ़, हरियाणा की उस बैंक की ब्रांच में पहुंच गई. बैंक में पहुंचकर जब लोन से जुड़ी फाइल देखी तो उसमें ब्रजपाल नाम मौजूद था. लेकिन लोन ज्वाइंट अकाउंट से हुआ था. फाइल में दूसरा नाम सुरेन्द्र था. लेकिन इन दो नाम का गांव नून्नू खेड़ा, मुजफ्फरनगर, यूपी में बैठे किसान ब्रजपाल से कोई लेना-देना नहीं था. फाइल में दर्ज नाम वाले भी किसान ही थे, लेकिन वो महेन्द्रागढ़ में गांव निम्बी के रहने वाले थे. ब्रजपाल और सुरेन्द्र दोनों ही भाई हैं. दोनों ने अपनी जमीन के कागज रखकर दो अलग-अलग बैंक से लोन लिया था. टीम सुरेन्द्र और ब्रजपाल के गांव भी पहुंची. जहां सुरेन्द्र और ब्रजपाल से मुलाकात हुई तो उन्होंने बताया कि हां ये 21 लाख रुपये का लोन जो ब्याज के साथ करीब 25 लाख रुपये हो गया है हमने ही लिया है. दोनों ही भाई गांव के साधन-संपन्न किसान हैं. खेती में इस्तेमाल के लिए ट्रैक्टर समेत दूसरी मशीनरी भी हैं.
जब बैंक में यूपी वाले ब्रजपाल का मामला साफ था तो इसके बाद हमारी मंजिल थी सिबिल स्कोर की वेबसाइट. लेकिन इससे जुड़े लोगों से आप सिर्फ ऑनलाइन ही बात कर सकते हैं तो इसे ध्यान में रखते हुए किसान तक ने ट्रांसयूनियन सिबिल के ट्विटर हैंडल पर किसान ब्रजपाल की परेशानी को उठाते हुए एक मैसेज छोड़ा. जिसका कुछ मिनट बाद ही जवाब आ गया, लेकिन उन्होंने किसान तक को थर्ड पार्टी मानते हुए कुछ भी बात करने से इंकार कर दिया. जब हमने उन्हें बताया इस मामले से जुड़े किसान के सभी दस्तावेज हमारे पास हैं और हम इस पर किसान की मदद करते हुए एक खबर बना रहे हैं.
क्योंकि किसान ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है तो वो आपसे ऑनलाइन अपनी परेशानी शेयर नहीं कर सकता है. बावजूद इसके सिबिल की ओर से कुछ नहीं बताया गया. हां, इतना जरूर हुआ कि उन्होंने किसान का मोबाइल नंबर मांगते हुए खुद ही किसान से बात करने का प्रस्ताव रखा. हमें भी किसान की मदद करनी थी तो हमने उन्हें नंबर दे दिया. उसके बाद से ही किसान की सिबिल वालों से बात हो रही है. किसान ने जरूरी दस्तावेज भी उनके साथ शेयर किए हैं.
सिबिल की ओर से भरोसा दिलाया गया है कि वक्त लगेगा, लेकिन उनकी परेशानी को 100 फीसद हल किया जाएगा. किसान की परेशानी को देखते हुए किसान तक की टीम लगातार किसान ब्रजपाल के संपर्क में बनी हुई है. हालांकि खबर लिखे जाने तक हमने सिबिल स्कोर वेबसाइट चलाने वाले जिम्मेदारों से जानना चाहा कि ये पूरा मामला कैसे हुआ, लेकिन अभी तक उन्होंने किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया है.
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ये तो हम सभी जानते ही हैं कि कोई भी बैंक लोन और क्रेडिट कार्ड आदि देते वक्त सिबिल स्कोर चेक करते हैं. अगर ये अच्छा होता है तो हमें लोन और क्रेडिट कार्ड मिल जाता है. हम बैंक लोन जिस तरह से अदा करते हैं उसी हिसाब से हमारा सिबिल स्कोर तैयार होता है. अगर हमारे लोन की तीन किस्तें रुक जाती हैं तो बैंक हमारी ये रिपोर्ट बनाकर ऑनलाइन सिबिल को भेज देता है. सिबिल उस रिपोर्ट के आधार पर हमारा स्कोर अपडेट कर देती है. हम किस्त वक्त से जमा कर रहे हैं तो ये भी सिबिल को बताया जाता है, इससे हमारा स्कोर बढ़ जाता है.
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