किसान की परेशानी और ग्राहकों की जरूरत को देखते हुए पंजाब के मोंगा में किसान बाजार की शुरुआत की गई थी. यहां ग्राहकों को दाल, फल-सब्जी और तेल-मसाले तक मिल रहे हैं. लेकिन पंजाब में किसान बाजार के साथ-साथ इसके लाइव किचन की खूब चर्चा हो रही है. बाजार में सामान खरीदने के साथ लोग यहां सरसों का साग, पकोड़े और जलेबी भी खाते हैं. मोंगा के साथ ही पंजाब के पांच और शहरों में इसे शुरू करने की तैयारी चल रही है. इस बाजार में सिर्फ किसान और ग्राहक होते हैं.
इस बाजार और उसके किचिन की खास बात यह भी है कि यहां मिलने वाला सभी सामान ऑर्गनिक होता है. मतलब जिस तेल में पकोड़े तले जा रहे हैं वो ऑर्गनिक सरसों का निकला हुआ है. जिसके चलते किसानों को उनके सामान के अच्छे दाम मिल रहे हैं. सरकार का मंडी विभाग और पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी किसानों की मदद कर रहे हैं.
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मोंगा के मंडी अफसर जश्नजदीप सिंह ने किसान तक को बताया कि मैं फील्ड में रहता हूं तो हमे पता है कि किसान की परेशानी क्या है और ग्राहक की जरूरत क्या है. आज ग्राहक किसी भी कीमत दाल, फल-सब्जी से लेकर दूध-दही भी ऑर्गनिक चाहता है. फिर चाहें इसके लिए उसे चार पैसे ही ज्यादा क्यों न देने पड़ें. इसी को समझते हुए हमने किसान बाजार की शुरुआत मोंगा से की थी. आज मोंगा का किसान बाजार 50 टेबल यानि काउंटर पर पहुंच गया है. ग्राहकों की डिमांड और बढ़ रही है. हमारे पास अब दूसरे शहरों से भी डिमांड आ रही हैं. जैसे हम लुधियाना में शुरुआत करने जा रहे हैं. वहां प्रशासन के साथ इसे लेकर बातचीत चल रही है.
किसान बाजार में काउंटर लगाने वाले किसान परमजीत ने किसान तक को बताया कि हमने ग्राहकों की जरूरत को देखते हुए बाजार का डिजाइन तैयार किया है. सबसे पहले तो यहां सभी सामान ऑर्गनिक है. साथ ही हम सीधे खेत से लेकर आ रहे हैं तो वो ताजा यानि फ्रेश भी है. मिलावट भी नहीं होती है तो इसी बात के ग्राहक दाम देने को तैयार रहता है. हमे भी दाम अच्छा मिल रहा है. जैसे एक किसान ने अपनी हल्दी सात रुपये किलो बेची थी. लेकिन जब वो इस किसान बाजार से जुड़ा तो प्रोसेस करने के बाद आज वो ही किसान अपनी पिसी हुई हल्दी 250 रुपये किलो बेच रहा है.
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किसानों ने किसान तक को बताया कि हम बाजार में दाल, फल-सब्जी , गुड़-चीनी, हल्दी-मिर्च, तेल और मोटे अनाज तक बेच रहे हैं. यह सभी ऑर्गनिक हैं. हमारे पास ऑर्गनिक प्रोडक्शन का सरकार से मिला सर्टिफिकेट है. इतना ही नहीं लाइव किचिन में साग की सरसों और रोटी बनाने में इस्तेमाल होने वाली मक्का भी ऑर्गनिक है. दूध-दही और बिकने वाली मिठाई भी ऑर्गनिक हैं. पकोड़े के बेसन और जलेबी की मैदा भी ऑर्गनिक ही होती है.
'इस बाजार के कई फायदे होंगे. आम पब्लिीक को ऑर्गनिक, फ्रेश और बाजार से सस्ता आइटम मिलेगा. इस बाजार में मिडिल मैन नहीं होगा तो किसानों को भी अच्छा मुनाफा होगा. एक और सबसे बड़ी बात यह कि इस बाजार से कोल्ड स्टोरेज और लम्बी दूरी के ट्रांसपोर्टेशन के चलते खराब होने वाले 20 फीसद फल-सब्जी भी खराब नहीं होंगे.'
सतबीर सिंह गोसाल, वीसी, पीएयू
'अगर किसान आज खेती के व्याकपार को समझ कर खेती करेगा तो जरूर बड़ा मुनाफा कमाएगा और रोजगार के साधन भी बढ़ाएगा. गांव और शहर में इस तरह के बाजार लगाए जा सकते हैं. इसके लिए हम किसानों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.'
प्रोफेसर डॉ. रमनदीप सिंह, बिजनेस स्टंडी डिपार्टमेंट, पीएयू, लुधियाना
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