कोल्ड स्टोरेज फसलों को सुरक्षित रखने का एक अच्छा तरीका है. देश में लाखों कोल्ड स्टोरेज खुले हैं ताकि हमारी फसलें सुरक्षित रह सकें. सब्जियों का भंडारण करके आप अच्छे दाम पा सकते हैं. किसानों के बीच 'छोटे कोल्ड स्टोरेज' का क्रेज बढ़ता जा रहा है. नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा के वैज्ञानिकों ने 'पूसा फार्म सन फ्रिज' नामक कोल्ड-स्टोरेज विकसित किया है, जो इस समस्या को हल करने में मदद कर सकता है. यह कोल्ड स्टोरेज सौर ऊर्जा से संचालित है और एक बार स्थापित होने के बाद इसमें कोई लागत नहीं आती है. यह भंडारण सुविधा छोटे किसानों और ग्रामीण व्यवसायियों के लिए बहुत उपयोगी बताई जा रही है.
इस कोल्ड स्टोरेज के संचालन के लिए अलग से बिजली या किसी प्रकार की रासायनिक बैटरी की आवश्यकता नहीं है. इसमें 415 वॉट के 12 सोलर पैनल लगाए गए हैं. रात में यह पानी की बैटरी से चलता है. दिन में तापमान तीन से चार डिग्री सेल्सियस रहता है. रात में तापमान 8-10 डिग्री सेल्सियस रहता है. इसकी भंडारण क्षमता दो से पांच टन है. इसकी क्षमता का निर्धारण विभिन्न कृषि उत्पादों पर भी निर्भर करता है. इसका आकार 3x3x3 मीटर है. मतलब आप इसे कहीं भी आसानी से इंस्टॉल कर सकते हैं. इसे तैयार करने में करीब आठ लाख रुपये का खर्च आता है.
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— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) March 12, 2024
IARI की शोधकर्ता डॉ. संगीता चोपड़ा के साथ वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस कोल्ड स्टोरेज सिस्टम को विकसित किया है. इस टीम में मिशिगन यूनिवर्सिटी, अमेरिका के डॉ. रैंडोल्फ ब्यूड्री और डॉ. नॉर्बर्ट म्यूएलर भी शामिल थे. डॉ. संगीता के मुताबिक, देश में अनाज और अन्य कृषि उत्पादों की भंडारण क्षमता बहुत कम है.
कोल्ड स्टोरेज में अनाज या सब्जी रखना किसानों के लिए बड़ी समस्या होती है. इसके लिए किसानों को शहरों में जाना होता है और अपने उत्पाद को रखना होता है. इसके लिए किसानों को खर्च भी करना होता है. इससे किसानों की कमाई कम होती है क्योंकि स्टोरेज का खर्च बढ़ जाता है. वहीं, अगर किसान इसे कोल्ड स्टोरेज में नहीं ले जाते हैं तो अनाज या सब्जियां खुद ही खराब होने लगती हैं. दोनों ही स्थितियों में नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ता है. इस खर्च को कम करने के लिए आईसीएआर ने नई मशीन बनाई है जो सोलर के साथ साथ बैटरी पर चलती है. इसमें आसानी से कृषि उत्पादों को अधिक दिन तक रखा जा सकता है. इसमें खास बात ये है कि दिन में यह सौर ऊर्जा से और रात में बैटरी से चलता है. यह कोल्ड स्टोरेज कई किसान मिलकर एक साथ अपने घरों के आसपास लगा सकते हैं. इससे उन्हें शहर जाने और परिवहन पर खर्च करने से मुक्ति मिल जाएगी. यह कवायद इसलिए की गई है ताकि किसानों का खर्च बढ़े और उनकी कमाई बढ़ाई जा सके.
भारत दुनिया में फलों का सबसे बड़ा उत्पादक और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके बावजूद, फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता काफी कम है क्योंकि कटाई के बाद नुकसान होता है जो उत्पादन का लगभग 25% से 30% होता है. इसके अतिरिक्त, बड़ी मात्रा में उत्पाद की गुणवत्ता भी उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते खराब हो जाती है. फलों और सब्जियों को बेचने से जुड़ी अधिकांश समस्याओं का कारण उनके खराब होने का पता लगाया जा सकता है. कम तापमान पर, नष्ट होने की क्षमता काफी कम हो जाती है और शेल्फ जीवन बढ़ जाता है और इस प्रकार कोल्ड स्टोरेज या रेफ्रिजरेशन का महत्व बढ़ जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भारत में पहला कोल्ड स्टोर 1892 में कलकत्ता में स्थापित किया गया था.
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