मंदिरों की नगरी वाराणसी में हर रोज बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं. इसे काशी नगरी भी कहा जाता है. दूसरे राज्यों और शहरों से आने वाले टूरिस्ट के चलते काशी में स्ट्रीट फूड का भी खासा चलन है. गर्मियों में खासतौर पर लस्सी और ठंडाई खूब बिकती है. इसके साथ ही इलाके के हिसाब से काशी का टमाटर चाट, लाल भरवा मिर्च और आलू का पापड़ भी खूब मशहूर है. मिठाई की बात करें तो मलाई गिलौरी, पलंगतोड़, रस माधुरी, रबड़ी, लाल पेड़ा और लौंगलता तो देशभर में फेमस है.
लेकिन अब काशी आने वालों को नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) द्वारा तैयार लस्सी, छाछ और मिस्टी दोई भी खाने को मिलेगा. जल्द ही एनडीडीबी वाराणसी में मिल्क प्लांट तैयार करने जा रही है. 20 फरवरी को खुद बोर्ड के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह ने प्लांट का भूमि पूजन किया. जानकारों की मानें तो इस प्लांट की क्षमता 50 मीट्रिक टन प्रतिदिन होगी. इस प्लांट को वाराणसी दुग्ध संघ की दूसरी यूनिट के रूप में शुरू किया जा रहा है.
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एनडीडीबी की ओर से जारी सूचना के मुताबिक उनकी सहयोगी कंपनी आईडीएमसी इसका संचालन करेगी. यहां छाछ, लस्सी, दही, सेट दही और मिस्टी दोई का उत्पादन किया जाएगा. मिस्टी दोई बंगाली आइटम है. ये मीठा दही होता है. खास बात ये है कि इस प्लांट में जो बॉयलर चलेगा वो बायोगैस पर आधारित होगा. रामनगर, वाराणसी में प्लांट का भूमि पूजन करते हुए मीनेश शाह ने कहा कि इस प्लांट के शुरू होने से पूर्वांचल के उपभोक्ता ओं को क्वालिटी के डेयरी प्रोडक्ट खाने को मिलेंगे. वहीं आसपास के पशुपालकों को भी इस प्लांट से खासा फायदा होगा.
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साल 2021 में यूपी सरकार के अनुरोध पर एनडीडीबी ने पांच साल के लिए वाराणसी दुग्धा संघ के संचालन की जिम्मेीदारी ली थी. तभी से एनडीडीबी के पास वाराणसी दुग्ध संघ से संबंधित सारे अधिकार मौजूद हैं. नए प्लांट को भी वाराणसी दुग्ध संघ की दूसरी यूनिट के रूप में स्थापित किया जा रहा है. गौरतलब रहे पहली यूनिट में दूध की चार एलएलपीडी प्रोसेसिंग क्षमता पहले से मौजूद है.
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